कोविड-19 महामारी के बाद 50 प्रतिशत से भी कम बच्चे अपनी उम्र के मुताबिक सीखने में सक्षम हैं और उनका ध्यान आसानी से भटक जाता है। पठन-पाठन के नुकसान और शिक्षा के संबंध में एक नए सर्वेक्षण में यह दावा किया गया है। ‘स्माइल इंडिया फाउंडेशन’ द्वारा किए गए सर्वेक्षण में 48,000 से अधिक छात्रों ने भाग लिया। इसमें 22 राज्यों के शहरी, ग्रामीण और आकांक्षी जिलों को शामिल किया गया।
फाउंडेशन ने कहा- शिक्षकों के अनुसार, 50 प्रतिशत से कम बच्चे पिछले दो वर्षों में पठन-पठन के नुकसान की भरपाई कर पाने में सक्षम हैं और वर्तमान में अपनी आयु के अनुरूप शिक्षा के हिसाब से ढलने में सक्षम हैं। सर्वेक्षण में कहा गया, ‘‘ये ज्यादातर वे छात्र हैं जो महामारी से पहले भी नियमित रूप से अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे। इसलिए, बाकी छात्रों को उनके सीखने के अपेक्षित स्तर के बराबर लाने के लिए आने वाले महीनों में कुछ समय और प्रयास करने की आवश्यकता होगी।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि 58 प्रतिशत शिक्षकों की राय थी कि बच्चे सामाजिक कौशल से चूक गए हैं और अब आसानी से उनका ध्यान भंग हो जाता है। इसके मुताबिक, माता-पिता अपने बच्चों की शिक्षा में अधिक जुड़ने लगे हैं। उनमें से 47 प्रतिशत का विचार था कि उनके और शिक्षकों के बीच स्कूलों में तथा साथ ही फोन पर बातचीत में वृद्धि हुई है।
सर्वे में भाग लेने वाले 63 प्रतिशत लोगों ने कहा है कि पिछले 30 दिनों में कोविड-19 जैसे लक्षण होने के बावजूद उन्होंने कोई जांच नहीं कराई। इसका मतलब है कि बड़ों की लापरवाही का नतीजा बच्चे भुगत रहे हैं।