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छोरियां छोरों से कम नहीं! पिता की नौकरी छूटी तो बनी सहारा, ऑटो रिक्शा चला उठाया परिवार का खर्च

  • Edited By Janvi Bithal,
  • Updated: 17 Jan, 2021 01:12 PM
छोरियां छोरों से कम नहीं! पिता की नौकरी छूटी तो बनी सहारा, ऑटो रिक्शा चला उठाया परिवार का खर्च

आपने अपने आस-पास जितने भी ऑटो ड्राइवर देखे होंगे वह सारे लड़के ही देखें होंगे लेकिन अगर एक महिला इस काम को करना शुरू कर दें तो समाज में उसकी बहुत बातें की जाती हैं। उसे यह तक जाता है कि उसके लिए यह काम सुरक्षित नहीं है इसलिए वह काम छोड़ दे लेकिन समाज के लोगों को सोचना चाहिए कि आज के समय में महिलाएं भी हर काम कर सकती हैं। और कुछ ऐसा ही कर दिखाया है जम्मू और कश्मीर में उधमपुर राज्य की बनजीत कौर ने। जो कि आज ऑटो रिक्शा चलाती है और अपने परिवार का खर्च उठाती है। 

पिता का बनीं सहारा

कोरोना काल में बहुत से लोग बेरोजगार हुए, बहुत से लोग बेघर हुए लेकिन इस मुश्किल घड़ी में भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। बनजीत के परिवार के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था। बनजीत के पिता एक स्कूल में बस ड्राइवर थे लेकिन कोरोना के चलते स्कूल बंद हुए तो नौकरी भी हाथों से छिन गई जिसके बाद बनजीत ने अपने पिता की मदद करने की ठानी। 

ऑटो चलाने के साथ-साथ जारी रखी पढ़ाई 

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आपको बता दें कि बनजीत अभी कॉलेज में पढ़ाई कर रही हैं और वह इसके साथ-साथ ऑटो भी चला रही है और अपने परिवार का पेट भी पाल रही है। दरअसल बनजीत कौर की मानें तो जब पिता की नौकरी छूटी तो उनके पास कुछ करने के लिए और घर को चलाने के लिए कुछ नहीं था ऐसे में बनजीत कौर ने ऑटो चलाना सीखा और इसके बाद वह ऑटो चलाने लगी और अपने परिवार का खर्च उठाया।

हमें हर परिस्थिति का सामना के लिए तैयार रहना चाहिए : बनजीत

बनजीत की मानें तो  वह सेकंड ईयर की स्टूडेंट हैं और पार्ट टाइम के तौर पर ऑटो रिक्शा चलाती हैं। बनजीत कहती हैं कि लड़कियों को हर परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। आपको बता दें कि बनजीत की बहन को उनपर गर्व है कि उनकी बहन आज खुद के पैरों पर खड़ी हैं और परिवार का सहारा बन रही हैं।

बदलते समाज की बदलती सोच 

आज कल समाज बदल रहा है और कोई भी काम छोटा या फिर बड़ा नहीं होता है। बल्कि इस जिंदगी में यह मायने रखता है कि आप मुसीबतों को कैसे लेते हैं और कैसे उनका सामना करते हैं। बनजीत की तरह आज समाज में कितनी ऐसी लड़कियां हैं जो ऑटो रिक्शा चलाकर अपने परिवार का पेट पाल रही हैं। 

सच में हम भी बनजीत के इस हौसले को सलाम करते हैं। 

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