भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान कृष्ण की लीलाओं के बारे में तो हम बचपन से सुनते आ रहे हैं। उन्हें कन्हैया, माधव, श्याम, गोपाल, केशव, द्वारकेश या द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी उनको जाना जाता है। यह बात तो हर किसी को मालूम है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में देवकी मां के गर्भ से हुआ था, उनका पालन गोकुल में यशोदा माता ने किया था।
तीनों मां का था विशेष महत्व
सालों से लोग भगवान की दो माताओं के बारे में कहानियां सुनते आ रहे हैं। यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि देवकी और यशोदा माता के अलावा श्रीकृष्ण की एक और मां भी थी। देवकी ने जन्म दिया, यशोदा ने पालन-पोषण किया, रोहिणी ने शिक्षा और संस्कार दिए। ऐसे में भगवान ने 3 महिलाओं को मां का दर्जा दिया था। इन तीनों का ही उनके जीवन में विशेष महत्व था।
भगवान कृष्ण की जैविक मां देवकी
देवकी भगवान कृष्ण की जैविक मां थीं। उनका विवाह वसुदेव से हुआ था। कंस, जो देवकी का भाई था, उसे आकाशवाणी के माध्यम से यह भविष्यवाणी मिली थी कि देवकी का आठवां पुत्र उसका वध करेगा। इस कारण कंस ने देवकी और वसुदेव को कारागार में डाल दिया। कारागार में ही कृष्ण का जन्म हुआ और फिर उन्हें गोकुल में नंद और यशोदा के पास भेज दिया गया।
यशोदा ने ही कृष्ण को पाला पोसा
यशोदा वह माता थीं जिन्होंने भगवान कृष्ण को पाला-पोसा। जब वसुदेव ने कृष्ण को कारागार से बाहर निकाला, तो वे उन्हें यशोदा और नंद बाबा के घर गोकुल में छोड़ आए। यशोदा ने ही कृष्ण की बाल लीलाओं को देखा और उनका लालन-पालन किया। यशोदा की ममता और प्रेम से भरी कहानियां भागवत पुराण में वर्णित हैं।
रोहिणी ने कृष्ण और बलराम को दिए संस्कार
रोहिणी वसुदेव की दूसरी पत्नी थीं और बलराम की माता थीं। कहा जाता है जब वसुदेव और देवकी को कारागार में डाल दिया गया था, तब रोहिणी ने गोकुल में ही रहकर बलराम और कृष्ण दोनों का पालन-पोषण किया। रोहिणी ने कृष्ण और बलराम को शिक्षा और संस्कार दिए।