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कोरोना इलाज का साइड इफेक्ट, 'सुपर-गोनोरिया' का गंभीर रोग दे रही एंटीबायोटिक

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 31 Dec, 2020 09:46 AM
कोरोना इलाज का साइड इफेक्ट, 'सुपर-गोनोरिया' का गंभीर रोग दे रही एंटीबायोटिक

एक तरफ कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन डॉक्टरों की चिंता बढ़ा रखी है तो दूसरी तरफ कोविड-19 के इलाज में दी जा रही एंटीबायोटिक्स के बुरे परिणाम सामने आ रहे हैं। दरअसल, WHO ने भी चेतावनी दी है कि ज्यादा एंटीबायोटिक्स लेने से गोनोरिया की समस्या हो सकती है। अधिक एंटीबायोटिक के सेवन से एक गंभीर बीमारी 'सुपर गोनोरिया' के ना सिर्फ मामले बढ़ रहे हैं बल्कि इसके इलाज भी मुश्किल होता जा रहा है।

क्या है 'सुपर गोनोरिया'?

कोरोना के इलाज के लिए शुरुआत में सांस की समस्या के लिए एजिथ्रोमाइसिन (Azithromycin) दी जा रही है, जो एक आम एंटीबायोटिक है। मगर, अब इसे अधिक सेवन से यह गंभीर बीमारी उभर कर सामने आ रही है, जो एक सेक्शुअली ट्रांसमेटिड रोग है।

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कैसे होते हैं गोनोरिया?

दरअसल, यह बीमारी नीसीरिया गोनोरिया नाम के एक बैक्टीरिया से होती है, जो असुरक्षित संबंध, ओरल या अप्राकृतिक तरीके से संबंध बनाना, प्राइवेट पार्ट की सफाई ना रखने पर फैलता है। इसके बैक्‍टीरिया मुंह, गले, आंख, योनि तथा गुदा में बढ़ते हैं।

WHO ने भी चेतावनी

WHO ने चेतावनी देते हुए कहा कि गोनोरिया में बैक्टीरियारोधी क्षमता कुछ समय में बहुत ज्यादा देखी गई है। दरअसल, चिंता की बात यह है कि लोग इतनी अधिक मात्रा में एंटीबायोटिक्स का सेवन कर रहे हैं कि दूसरी एंटीबायोटिक्स अपना असर नहीं दिखा पा रही हैं।

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गोनोरिया रोग के लक्षण

यह बीमारी आमतौर पर 2 से 10 दिन में फैलने के बाद पता चलता है, जिसके लक्षण इस तरह है...

. पेट के निचले हिस्‍से में दर्द
. पेशाब करते वक्त जलन
. पीरियड्स में हैवी ब्‍लीडिंग
. सूजी हुई ग्रंथियां
. सर्दी-जुखाम जैसे लक्षण
. तेज बुखार
. मासपेशियों में दर्द
. थकान या सिरदर्द
. व्हाइट डिस्‍चार्ज

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बांझपन का बन सकता है कारण

इसके कारण ना सिर्फ प्रेगनेंसी में दिक्कत आती है बल्कि यह गर्भपात का कारण भी बन सकता है। वहीं इस रोग के कारण प्रीमैच्चयोर डिलीवरी की संभावना भी बढ़ जाती है। अगर सही समय पर इलाज ना करवाया जाए तो HIV होने का खतरा भी बढ़ जाता है।

बच्चे को भी पहुंचाता है नुकसान

दरअसल, प्रेगनेंसी में यह रोग होने पर नवजात की आंखों पर असर पड़ता। वहीं इसके कारण बच्‍चे को रक्‍त और जोड़ों में गंभीर संक्रमण होने का खतरा रहता है, जिससे दिमागी बुखार जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

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