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बसु के दिल ने बचाई 6 लोगों की जान, 32 वर्षीय लक्ष्मी के लिए बनी फरिश्ता

  • Edited By palak,
  • Updated: 24 Aug, 2022 01:21 PM
बसु के दिल ने बचाई 6 लोगों की जान, 32 वर्षीय लक्ष्मी के लिए बनी फरिश्ता

मरने से पहले 15 वर्षीय छोटी सी लड़की ने अपना दिल देकर 32 साल की महिला की जान बचाई है। कुछ दिनों पहले ही इस लड़की का रोड एक्सीडेंट में निधन हो गया था। लेकिन मरने के बाद भी उसने 6 लोगों को अंगदान करके उनकी जान बचाई। आपको बता दें कि भागलपुर की रहने वाली 32 साल की लक्ष्मी देवी जिसे दिल की जरुरत थी, उसे 15 वर्ष की छोटी सी लड़की बसु के दिल ने जिंदगी दी है। यह मामला दिल्ली में स्थित केंद्र सरकार के  राम मनोहर लोहिया अस्पताल का है, जहां पर पहला हार्ट ट्रांस्पलांट हुआ है। केंद्रीय मंत्री मंसुख मंडाविया ने भी इस लड़की के बारे में जानने के लिए प्रेरित भी किया है। मंडाविया ने एबवीआईएमएस(ABVIMS) और आरएमएल(RML) अस्पताल के डॉक्टरों का पहला हार्ट ट्रांसप्लांट सफल होने पर बधाई भी दी है। 

पिता ने किए अंग डोनेट

रिपोर्ट्स के अनुसार, 20 अगस्त की सुबह 9 बजे, लड़की के ब्रेन को डेड घोषित कर दिया गया था, लेकिन उसके अंगों को बनाए रखने के लिए उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था। चंडीगढ़ अस्पताल में प्रत्यारोपण समन्वयक द्वारा परामर्श के बाद लड़की के पिता बसु के सभी अंगों को अंतिम चरण की बीमारियों से पीड़ित जरुरतमंद लोगों को दान करने के लिए आगे आए। 

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21 अगस्त को दिया दिल 

21 अगस्त की सुबह नोटो ने पीजीआईएमईआर दाता के दिल की उपलब्धता के बारे में अलर्ट जारी किया था। जिसके बाद डॉ नरेंद्र सिंह झाझरिया के नेतृत्व में आरएमल अस्पकाल और एम्स के कार्डियक सर्जनों की एक टीम उसी शाम पीजीआई चंडीगढ़ पहुंची और डोनर बसु का दिल काट लिया। दिल भीतर तेजी से दिल्ली लाया गया। जिसके बाद विजय ग्रोवर हेड सीटीवीएस और उनकी टीम में डॉ मिलिंद होटे, डॉ नरेंद्र झाझरिया, डॉ पलाश अय्यर और डॉ रमेश काशेव और डॉ जसविंदर कोहली के नेतृत्व में कार्डियक एनेस्थेटिस्ट शामिल थे। सर्जरी 21 अगस्त की रात 9 बजे शुरु हुई थी और 22 अगस्त को सुबह 3 बजे पूरी हो गई।  

हार्ट ट्रांस्पलांट की प्रक्रिया को बनाया सफल

मीडिया से बात करते हुए एमएस की निदेशक नंदिनी दुग्गल ने कहा कि - 'यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है और यह एक इतिहास है जो आरएमएल की डॉक्टरों के द्वारा बनाया गया है। यह बहुत ही मुश्किल काम था, परंतु हमारी सारी समर्पित टीमों के लिए धन्यवाद क्योंकि ए सीटीवीएस कार्डियोलॉजी, ब्लड बैंक, ट्रांसप्लांट के लिए नोडल अधिकारी, हमारे ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर फिर चंडीगढ़ से अन्य कई सेवाएं, दिल्ली एयरपोर्ट अथॉरिटी एम्स के विभाग, महान टीम प्रयास और विभागों ने इस प्रयास को सफल बनाने में पूरे मन से काम किया है।' 

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32 वर्षीय लक्ष्मी को मिला 15 साल की लड़की का दिल 

टीम के अन्य डॉ विजय ग्रोवर ने बताया कि - 'एक 32 वर्षीय महिला की सबसे लंबी सर्जरी थी। जो 7-8 साल से कार्डियोमायोपैथी नामक बीमारी से पीड़ित थी। इस बीमारी के कारण महिला का दिल सिर्फ 15 फीसदी ही काम कर पा रहा था। लेकिन अब वो ठीक है। 15 वर्ष की उस लड़की ने 6 लोगों की जान बचाने में सहायता की है।' 

स्वास्थ्य मंत्री ने किया ट्वीट

स्वास्थ्य मंत्री मंसुख मंडाविया ने ट्वीट करके लिखा - 'मैं 15 साल की डोनर से बहुत ही जुड़ाव महसूस कर रहा हूं, जिसने मौत के बाद 6 लोगों को नई जिंदगी दी है। 32 साल की लक्ष्मी देवी को इस लड़की का दिल मिला है। आरएमएल अस्पताल में पहला ट्रांसप्लांट हुआ, जो कि सफल रहा।' इसके लिए उन्होंने डॉक्टरों की भी बधाई दी है। आगे मंडाविया ने अपने ट्वीट में लिखा कि - 'अंगदान सबसे अनमोल जीवन का रक्षक उपहार है। निस्वार्थता, उदारता और करुणा का यह महान काम प्रेरणादायक है। यह कई लोगों को आगे आने के लिए प्रेरित भी करता है। ये अंगदान के मानवीय कारण को मजबूत करने और किसी के दिल की धड़कन का कारण बनने के लिए भी लोगों को प्रेरित करेगा।' 

 

 

 

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