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जो गिरा वो उठ नहीं पाया, हर तरफ दिखी बस लाशें ही लाशें... सत्संग हादसे के बारे में जान कांप जाएगी रूह

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 03 Jul, 2024 10:47 AM
जो गिरा वो उठ नहीं पाया, हर तरफ दिखी बस लाशें ही लाशें... सत्संग हादसे के बारे में जान कांप जाएगी रूह

जिंदगी कब धाेखा दे दे कोई नहीं जानता। सत्संग में शामिल होने गए उन लोगों को भी क्या मालूम था कि अब वह कभी लौटकर अपने घर नहीं जा पाएंगे। जानलेवा भगदड़ ने 116 लोगों की जान ले ली। कुछ लोग जिंदा तो बच गए लेकिन अपनों को खोने के बाद  उनके जीने का मकसद ही नहीं बचा है। इस हासदे ने सैंकड़ों घर बर्बाद कर दिए, जिसकी भरपाई अब कोई नहीं कर सकता। 

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 उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सिकंदराराऊ क्षेत्र में आयोजित सत्संग में मची भगदड़ के बाद सरकारी अस्पताल के अंदर बड़ा ही हृदयविदारक और मार्मिक मंजर देखने को मिला। अस्पताल के अंदर बर्फ की सिल्लियों पर शवों को रखा गया जबकि पीड़ितों के विलाप करते परिजन शवों को घर ले जाने के लिए रात में बूंदाबांदी के बीच बाहर इंतजार कर रहे थे। अधिकारियों ने मृतकों की संख्या 116 बताई है, जिनमें 108 महिलाएं, सात बच्चे और एक पुरुष है। 

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हाथरस जिले के सिकंदराराऊ क्षेत्र के पुलराई गांव में आयोजित प्रवचनकर्ता भोले बाबा के सत्संग में मंगलवार को भगदड़ मच गई जिससे इतना बड़ा हादसा हुआ। भगदड़ अपराह्न करीब 3.30 बजे हुई, जब बाबा कार्यक्रम स्थल से निकल रहे थे।  कई लोग देर रात तक अपने लापता परिवार के सदस्यों की तलाश करते नजर आए।  एक महिला ने बताया कि- ‘मेरे भाई और भाभी, उनके बच्चे मेरी मां के साथ संगत में गए थे। भीड़ में मेरी मां पीछे रह गईं और कुचल गईं।। पीड़ितों के कई परिजन अब भी सदमे में हैं। 

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एक महिला ट्रक में पांच या छह शवों के बीच बैठी रो रही थी, लोगों से अपनी बेटी के शव को वाहन से बाहर निकालने में मदद करने का आग्रह कर रही थी। बताया जा रहा है कि प्रवचनकर्ता भोले बाबा के दर्शन के लिए अनुयायियों में होड़ लग जाने और वहां की जमीन कीचड़ और फिसलन भरी होने से भगदड़ मची। 

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एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया- ‘‘पानी की टंकियों और बारिश के पानी ने आस-पास की नालियों को भर दिया था, जिससे सतह फिसलन भरी हो गई थी। जब गुरु जी लगभग डेढ़ घंटे बाद वहां से निकले, तो भक्त अचानक उनके पीछे उनके पैर छूने के लिए दौड़े। जैसे ही उनकी कार वहां से निकली, भक्तों को जमीन पर झुकते देखा जा सकता था। इसके बाद जब लोग वापस लौटे तो अचानक फिसलन भरी जमीन के कारण वे एक-दूसरे पर गिर पड़े।'' बताया जा रहा है कि सत्संग में कम से कम 10,000 लोगों की भीड़ थी।

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