नारी डेस्क: घुटने के गठिया के लक्षणों का समय पर पता लगाने और उचित इलाज में देरी से घुटनों की स्थिति खराब हो सकती है और इससे रीढ़ की हड्डी को भी नुकसान पहुंच सकता है। विश्व गठिया दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इसे लेकर चेतावनी जारी की। विश्व गठिया दिवस * हर साल 12 अक्टूबर को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य गठिया (Arthritis) और उससे जुड़े विभिन्न रोगों के प्रति जागरूकता फैलाना है, ताकि लोग समय पर इसका निदान और इलाज करवा सकें।
गठिया (Arthritis) क्या है?
गठिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें जोड़ों में सूजन, दर्द, अकड़न और चलने-फिरने में कठिनाई होती है। यह कई प्रकार की होती है, जिनमें से सबसे आम ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटाइड आर्थराइटिस हैं। गठिया किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन ज्यादातर यह बुजुर्गों में अधिक होती है।मैक्स अस्पताल के डॉ एल तोमर का कहना है कि 70 प्रतिशत से अधिक मामलों में, ऑस्टियोआर्थराइटिस घुटने के गठिया का सबसे आम कारण है। ऑस्टियोआर्थराइटिस मध्य (आंतरिक) संयुक्त कम्पार्टमेंट कार्टिलेज को अधिक प्रगतिशील क्षति पहुंचाता है, जिससे दो हड्डियों के बीच का अंतर कम हो जाता है।
गठिया के लक्षण
विशेषज्ञों ने रोगियों से गठिया के शुरुआती लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करने का आग्रह किया, उन्हें उचित निदान और उपचार के लिए विशेषज्ञों से परामर्श करने की सलाह दी। उन्होंने जोर देकर कहा कि समय पर कार्रवाई से दीर्घकालिक जटिलताओं को रोका जा सकता है और जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है। क्या है इसके लक्षण
- गठिया का प्रमुख लक्षण जोड़ों में दर्द होता है। यह दर्द धीरे-धीरे बढ़ता है और समय के साथ अधिक गंभीर हो सकता है।
- प्रभावित जोड़ों में सूजन हो जाती है, जो दर्द और असहजता का कारण बनती है। सूजन की वजह से त्वचा का रंग लाल हो सकता है।
- सुबह के समय या लंबे समय तक आराम करने के बाद जोड़ों में अकड़न महसूस हो सकती है। यह अकड़न समय के साथ दिनभर बनी रह सकती है।
- गठिया के कारण जोड़ों में दर्द और अकड़न के चलते चलने, उठने-बैठने, या दैनिक कार्य करने में कठिनाई हो सकती है।
- जोड़ों की गतिशीलता कम हो जाती है, जिससे जोड़ों का सही से न चलना या मुड़ना मुश्किल हो जाता है।
- गठिया से पीड़ित लोग अक्सर थकान और कमजोरी महसूस करते हैं, खासकर रूमेटाइड आर्थराइटिस में।
- गठिया के प्रभावित क्षेत्र में जलन या गर्मी का अहसास हो सकता है, खासकर सूजन वाले हिस्सों में।
समय पर इलाज न कराने के नुकसान
जोड़ों को स्थायी नुकसान: अगर गठिया का समय पर इलाज न हो, तो यह जोड़ों में स्थायी क्षति का कारण बन सकता है। हड्डियों और जोड़ों की संरचना को नुकसान हो सकता है, जिससे उनके काम करने की क्षमता कम हो जाती है।
चाल-ढाल में समस्या: बिना इलाज के, गठिया मरीजों को चलने-फिरने, उठने-बैठने में कठिनाई होती है, जिससे उनकी दैनिक गतिविधियों पर असर पड़ता है। गंभीर मामलों में, चलने की क्षमता भी खत्म हो सकती है।
असहनीय दर्द: समय पर इलाज न कराने से दर्द की तीव्रता बढ़ सकती है, और यह दर्द असहनीय हो सकता है। यह दर्द रात में भी सोने नहीं देता, जिससे नींद की कमी और मानसिक तनाव हो सकता है।
जीवन की गुणवत्ता में कमी: गठिया मरीजों की जीवनशैली पर गहरा असर डाल सकता है। उनके रोजमर्रा के कामकाज, चलने-फिरने, और आनंद लेने की क्षमता पर भारी प्रभाव पड़ता है।
जोड़ों का बिगड़ना: लंबे समय तक इलाज न करवाने से जोड़ों की स्थिति बिगड़ सकती है और जोड़ों के प्रत्यारोपण (Joint Replacement) की नौबत आ सकती है।
*हृदय रोग का खतरा: गठिया से जुड़े कुछ प्रकार, जैसे रूमेटाइड आर्थराइटिस, हृदय रोगों का खतरा बढ़ा सकते हैं। इसलिए इसका इलाज समय पर होना बहुत जरूरी है।
गठिया से बचने के उपाय
नियमित रूप से व्यायाम करना जोड़ों की लचीलापन बनाए रखने में मदद करता है। हल्की एक्सरसाइज जैसे योग, तैराकी, और चलना, गठिया के दर्द को कम करने में सहायक हो सकते हैं। वहीं एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी खाद्य पदार्थों का सेवन, जैसे मछली, हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, और नट्स, गठिया के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। शरीर का वजन नियंत्रित रखना जोड़ों पर दबाव कम करता है, जिससे गठिया के लक्षण कम हो सकते हैं। गठिया के लक्षण महसूस होते ही डॉक्टर से परामर्श लें। सही समय पर इलाज शुरू होने से इस बीमारी को प्रबंधित किया जा सकता है।