गर्भाशय यानि यूट्रस एक महिला की प्रजनन प्रणाली के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। यह निषेचित अंडे को तब तक पोषण देने और रखने में मदद करता है जब तक कि संतान पैदा होने के लिए तैयार न हो जाए। इसके अलावा गर्भाशय मासिक धर्म के लिए भी जिम्मेदार होता है। ऐसे में इसे स्वस्थ और सुरक्षित रखना महत्वपूर्ण हो जाता है। हालांकि गलत खानपान और लाइफस्टाइल के चलते आजकल महिलाएं गर्भाश्य में सूजन जैसी समस्याओं के घेरे में आ जाती हैं। मगर, योग व्यायाम और प्राणायाम न केवल बाहरी बल्कि शरीर के आंतरिक अंगों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं। ऐसे में आज हम आपको कुछ योगासन के बारे में बताएंगे, जो ना सिर्फ यूट्रस में सूजन को दूर करने में मदद करेंगे बल्कि इससे गर्भाश्य स्वस्थ भी रहेगा।
हलासन
नियमित रूप से हलासन करने से ना सिर्फ रीढ़ की हड्डी में लचीलेपन बल्कि यह प्रजनन अंगों को बेहतर बनाने में भी मदद करता है। इसके अलावा यह निचले पेट और गर्भाशय को मजबूत करता है।
कैसे करें ?
. इसके लिए एक योगा मैट लें और पीठ के बल सीधे लेट जाएं। फिर बाजू को शरीर के दोनों ओर फर्श पर हथेलियों के साथ रखें।
. पैरों को 90 डिग्री के कोण पर उठाते हुए गहरी सांस लें। सांस छोड़ते हुए पैरों को पीछे की ओर सिर तरफ ले जाएं और हाथों को पीठ के निचले हिस्से पर रखें।
. रीढ़ को ऊपर उठाएं और कंधे के ब्लेड और कोहनी को पीछे की ओर खींचें।
. जब पैर की उंगलियां सिर के ऊपर से फर्श पर पहुंच जाएं तो बाजू को छोड़ दें। करीब 2 मिनट इस स्थिति में रहने के बाद सामान्य हो जाए।
बालासन
गर्भाशय को स्वस्थ रखने और सूजन को कम करने के लिए आप बालासन योग भी कर सकते हैं। बालासन को गर्भाशय में दर्द, तनाव और तनाव जैसे लक्षणों को कम करके एंडोमेट्रियोसिस जैसी गर्भाशय की स्थिति के इलाज के लिए फायदेमंद माना जाता है। यह पैल्विक दर्द को भी कम करता है है और गर्भाशय के स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करता है।
कैसे करें ?
. इसके लिए घुटनों के बल झुककर पैर की उंगलियों को एक-दूसरे के साथ जोड़ें।
. घुटनों को कूल्हे की चौड़ाई से अलग रखें और सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें।
. जांघों के बीच अपने धड़ पर लेट जाएं और हाथों को आगे लाएं।
. इस पोजीशन में करीब 2 से 3 मिनट तक रहें और फिर धीरे-धीरे वापस आ जाएं।
भुजंगासन
भुजंगासन या कोबरा मुद्रा एक ऐसी मुद्रा है, जो प्रजनन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मददगार साबित हो सकती है। चूंकि यह आसन गर्भाशय और अंडाशय को ऑक्सीजन देने में मदद करता है प्रेगनेंसी के पहले तिमाही में भी इसे करने की भी सलाह दी जाती है।
कैसे करें ?
. योगा मैट पर पेट के बल सीधे लेटकर दोनों हाथों को अपने शरीर के दोनों ओर रखें, हथेलियाँ नीचे की ओर हों।
. सिर और धड़ को अपने हाथों के सहारे थोड़ा ऊपर उठाएं।
. बाहों को कोहनी से मोड़े, गर्दन को झुकाएं और थोड़ा ऊपर की तरफ देखें।
. पैर की उंगलियों से फर्श को दबाएं और कुछ देर इसी स्थिति में रहें।
ये योग मुद्राएं न सिर्फ गर्भाशय को स्वस्थ रखने में मददगार हैं बल्कि ये पूरे शरीर को निरोग रखेंगी।