05 NOVTUESDAY2024 8:53:59 AM
Nari

महिलाओं को भी श्राद्ध का अधिकार, माता सीता ने भी किया था अपने ससुर के लिए पिंडदान

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 12 Sep, 2022 12:00 PM
महिलाओं को भी श्राद्ध का अधिकार, माता सीता ने भी किया था अपने ससुर के लिए पिंडदान

हिंदू धर्म में पितृपक्ष के दौरान पिंडदान का विशेष महत्व होता है। पितृ पक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है, जिससे पूर्वजों के आशीर्वाद से वंश तरक्की करता है। वैसे तो पिंडदान का अधिकार बेटे का होता है, लेकिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने अपने पिता दशरथ का पिंडदान नहीं किया था। वाल्मिकी रामायण में सीता माता द्वारा पिंडदान देकर राजा दशरथ की आत्मा को मोक्ष मिलने का संदर्भ आता है। 

PunjabKesari

असमंजस में पड़ गई थी माता सीता

शास्त्रों के अनुसार, वनवास के दौरान भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता पितृ पक्ष के वक़्त श्राद्ध करने के लिए गया धाम पहुंचे थे। वहां ब्राह्मण द्वारा बताए श्राद्ध कर्म के लिए आवश्यक सामग्री जुटाने हेतु श्री राम और लक्ष्मण नगर की ओर चल दिए। ब्राह्मण देव ने माता सीता को आग्रह किया कि पिंडदान का कुतप समय निकलता जा रहा है। यह जानकर माता सीता असमंजस में पड़ गई, तब माता सीता ने समय के महत्व को समझते हुए यह निर्णय लिया कि वह स्वयं अपने ससुर राजा दशरथ का पिंडदान करेंगी। 

PunjabKesari
 राजा दशरथ ने  स्वीकार कर लिया था पिंडदान

माता ने फल्गू नदी के साथ साथ वहां उपस्थित वटवृक्ष, कौआ, तुलसी, ब्राह्मण और गाय को साक्षी मानकर स्वर्गीय राजा दशरथ का का पिंडदान पुरी विधि विधान के साथ किया। इस क्रिया के उपरांत जैसे ही उन्होंने हाथ जोड़कर प्रार्थना की तो राजा दशरथ ने माता सीता का पिंड दान स्वीकार किया। माता सीता को इस बात से प्रफुल्लित हुई कि उनकी पूजा दशरथ जी ने स्वीकार कर ली है, पर वह यह भी जानती थी कि प्रभु राम इस बात को नहीं मानेंगे क्योंकि पिंड दान पुत्र के बिना नहीं हो सकता है। 

PunjabKesari

भगवान राम को हुई हैरानी

थोड़ी देर बाद भगवान राम और लक्ष्मण सामग्री लेकर आए और पिंड दान के विषय में पूछा तब माता सीता ने कहा कि समय निकल जाने के कारण मैंने स्वयं पिंडदान कर दिया।  प्रभु राम को इस बात का विश्वास नहीं हो रहा था कि बिना पुत्र और बिना सामग्री के पिंडदान कैसे संपन्न और स्वीकार हो सकता है। तब सीता जी ने कहा कि वहां उपस्थित फल्गू नदी, तुलसी, कौआ, गाय, वटवृक्ष और ब्राह्मण उनके द्वारा किए गए श्राद्धकर्म की गवाही दे सकते हैं। भगवान राम ने जब इन सब से पिंडदान किये जाने की बात सच है या नहीं यह पूछा, तब फल्गू नदी, गाय, कौआ, तुलसी और ब्राह्मण पांचों ने प्रभु राम का क्रोध देखकर झूठ बोल दिया कि माता सीता ने कोई पिंडदान नहीं किया। 

PunjabKesari
माता सीता ने दिया था श्राप

सिर्फ वटवृक्ष ने सत्य कहा कि माता सीता ने सबको साक्षी रखकर विधि पूर्वक राजा दशरथ का पिंड दान किया। पांचों साक्षी द्वारा झूठ बोलने पर माता सीता ने क्रोधित होकर उन्हें आजीवन श्राप दिया। सीता माता द्वारा दिए गए इन श्रापों का प्रभाव आज भी इन पांचों में देखा जा सकता है।  जहाँ इन पांचों को श्राप मिला वहीं सच बोलने पर माता सीता ने वट वृक्ष को आशीर्वाद दिया कि उसे लंबी आयु प्राप्त होगी और वह दूसरों को छाया प्रदान करेगा तथा पतिव्रता स्त्री उनका स्मरण करके अपने पति की दीर्घायु की कामना करेगी।

PunjabKesari
महिलाओं को भी है पिंडदान का अधिकार 

माता सीता की बुद्धिमत्ता और पिताश्री को खाली हाथ न लौटने देने की प्रशंसा करते हुए भगवान श्रीराम ने आशीर्वाद दिया कि हे देवी सीता,जिस प्रकार आज आपने पिताश्री का पिंडदान किया है, आनेवाले समय में कोई भी महिला पुरुषों की अनुपस्थिति में पिंडदान कर सकती है। कहा जाता है कि श्रीराम से आशीर्वाद मिलने के बाद ही महिलाओं को पिंडदान का अधिकार मिला। शास्‍त्रों में श्राद्ध का पहला अधिकार पुत्र को दिया गया है. लेकिन जिस परिवार में कोई पुत्र नहीं है, उस परिवार की कन्‍या पितरों के श्राद्ध को अगर श्रद्धापूर्वक करती है और उनके निमित्त पिंडदान करती है तो पितर उसे स्वीकार कर लेते हैं। इसके अलावा पुत्र की अनुपस्थिति में बहू या पत्नी को श्राद्ध करने का अधिकार है। 
 

Related News