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तालिबान का खौफ: लड़की ने दस साल तक छिपाई अपनी पहचान, लड़का बनकर पालती रही घरवालों का पेट

  • Edited By Anu Malhotra,
  • Updated: 23 Aug, 2021 03:06 PM
तालिबान का खौफ: लड़की ने दस साल तक छिपाई अपनी पहचान, लड़का बनकर पालती रही घरवालों का पेट

जब से अफगानिस्तान में तालिबान का दोबारा से कब्जा हुआ तब से वहां के स्थानीय लोग कैद पिंजरे की तरह अपने घरों में बंद है।  तालिबान अपने क्रुर शासन के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। कानूनों का उलंघन करने पर तालिबान किस तरह लोगों का सजा देता है यह वहां के लोग भलीभांति जानते हैं। 

तालिबान ने अपने पहले शासनकाल में लोगों पर खासकर महिलाओं पर बेइंतहा जुल्म किए। महिलाओं पर कई तरह के कड़े प्रतिबंध लगाए गए, इसके चलते महिलाओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा। इन्ही में से एक दिलचस्प कहानी लेखिका नादिया गुलाम की भी है जिसने पिछले दस साल तक लड़की से लड़का बनकर अपनी पहचान छिपा कर रखी। आईए जानते हैं इनके बारे में-

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छोटी सी उम्र में ही अपना घर संभालने के लिए पुरुष बनना पड़ा
तालिबान के अत्याचारों को देखते हुए नादिया 10 साल तक एक पुरुष की तरह जीवन बिताने को मजबूर रही।  क्योंकि वे जानती थी कि तालिबान राज में महिलाओं को पहनने-ओढ़ने से लेकर उसे नौकरी और पढ़ाई करने की इजाजत नहीं थी। जिस वजह से नादिया को छोटी सी उम्र में ही अपना घर संभालने के लिए पुरुष बनना पड़ा।

 8 साल की थी जब हमारे घर पर बम गिरा, सभी की जिंदगी बर्बाद हो गई
अपनी इस लंबी जर्नी के बारे में नादिया ने बताया कि जब मैं 8 साल की थी तो हमारे घर पर बम गिरा था। मेरा भाई इस अटैक में मारा गया था और मैं भी बुरी तरह घायल हुई थी। मुझे उस समय एहसास हुआ था कि युद्ध के चलते किसी की जिंदगी कैसे बर्बाद होती है, लेकिन जब मैं अफगानिस्तान के एक अस्पताल में अपना इलाज करा रही थी तो मैं हैरत में पड़ गई थी।

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सभी को अपने-अपने हिस्से का संघर्ष कर पड़ेगा, मैं भी पीछे नहीं हटूंगी
नादिया ने आगे बताया कि दरअसल मैं देख रही थी कि वहां हजारों की तादाद में घायल लोग पड़े हुए हैं और उनके हालात मुझसे भी ज्यादा खराब हैं, इसके बाद ही मुझे एहसास हुआ था कि सभी को अपने-अपने हिस्से का संघर्ष कर पड़ेगा और मैं भी पीछे नहीं हटूंगी। इसके बाद 11 साल की उम्र में नादिया ने खुद को लेकर एक सख्त फैसला किया।

11 साल की उम्र में अपने छोटे भाई के तौर पर दुनिया के सामने आई नादिया
नादिया जब 11 साल की हुई तो उसने अपनी पहचान बदल डाली, लड़की से लड़का बन गई और वे  अपने छोटे भाई के तौर पर दुनिया के सामने आई। नादिया ने ये सब  इसलिए किया क्योंकि उन्हें अपने परिवार का पेट पालना था। 

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लड़की की जिंदगी छोड़ नादिया लड़कों के कपड़े पहनकर काम करने लगी।  नादिया एक दौर में तो भूल भी चुकी थीं कि वे लड़की हैं। वे दस सालों तक अपने परिवार को आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए ऐसा करती रहीं।  उन्होंने बताया कि कई बार ऐसा हुआ जब मेरा झूठ लोगों के सामने आने वाला होता लेकिन मैं हर बार अच्छी किस्मत के चलते बच गई।

बता दें कि नादिया इस समय  अफगानिस्तान में नहीं है वह 15 साल पहले एक एनजीओ के सहारे अफगानिस्तान से निकलने में कामयाब रही हैं, हालांकि उनका परिवार अब भी अफगानिस्तान में ही है। वे स्पेन के केटालोनिया में एक अफगानी रिफ्यूजी की तरह रह रही हैं, उन्होंने यहां रहते हुए जर्नलिस्ट Agnes rotger के साथ अपने अनुभवों के आधार पर किताब भी लिखी है।

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 मैं कई सालों से कहती रही हूं कि तालिबान कहीं नहीं गया 
वहीं अब तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जे को लेकर नादिया का कहना है कि मैं कई सालों से कहती रही हूं कि तालिबान कहीं नहीं गया है, यूएस और बाकी इंटरनेशनल फोर्स ने हमारे देश के साथ धोखा ही किया है। उन्होंने हमारे देश की स्थिति को आउट ऑफ कंट्रोल किया है और अब अफगानियों को ये सब झेलना पड़ेगा।

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