
नारी डेस्क: हमीदा बानो, एक भारतीय महिला जिसे दो दशक पहले एक ट्रैवल एजेंट ने धोखे से पाकिस्तान की यात्रा पर भेज दिया था, आखिरकार पड़ोसी देश में करीब 22 साल रहने के बाद अपने वतन लौट आई। भारत पहुंचने पर व्हीलचेयर पर बैठी हमीदा को विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को सौंप दिया गया है। इस दौरान उन्होंने बताया कि इतने सालों में उन्हाेंने क्या-क्या झेला।

हमीदा बानो ने अपनी दर्दनाक यात्रा के बारे में बताया कि- "मुझे एक ट्रैवल एजेंट धोखे से पाकिस्तान ले आया था। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं भारत वापस आ पाऊंगी, लेकिन एक साल पहले ही भारतीय दूतावास ने मुझसे संपर्क किया और मुझे बताया कि मैं वापस आ सकती हूं। इस मुसीबत से पहले मैं मुंबई में रहती थी। एक ट्रैवल एजेंट ने मुझे नौकरी के लिए दुबई ले जाने का वादा किया था, लेकिन इसके बजाय, वह मुझे पाकिस्तान के सिंध प्रांत के हैदराबाद ले आया। मैं डर गई थी।"

हमीदा बानो ने पाकिस्तान में झेली गई कठिनाइयों का वर्णन करते हुए बताया- "वहां मेरा जीवन ज़िंदा लाश जैसा था। हालाँकि, पाकिस्तानी सरकार ने मुझे कभी नुकसान नहीं पहंचाया। मैं एक सिंधी व्यक्ति के साथ रहती थी जिसने मुझसे शादी की थी, लेकिन 12 साल बाद, वह मर गया।" हमीदा ने आगे अपना आभार व्यक्त करते हुए कहा- "मैं भारत और पाकिस्तान दोनों सरकारों को मेरे वतन लौटने में मदद करने के लिए धन्यवाद देना चाहती हूं।"

हमीदा बानो जिस मदरसे के बाहर बैठकर टाॅफियां बेचा करती थी। वहां एक बच्चा उनसे टाॅफी लेने आया करता था। यह बच्चा शिक्षा पूर्ण करने के बाद एक चैनल से जुड़ गया। इसी ने अपने चैनल पर हमीदा का इंटरव्यू किया, जो वायरल हुआ।। उन्होंने एक व्लॉग में उनकी कहानी साझा की, जिससे उन्हें भारत में अपने परिवार से फिर से जुड़ने में मदद मिली। मारूफ के प्रयासों से उनकी बेटी यास्मीन उनसे फोन पर बात करने में सक्षम हुई। 2002 में भारत छोड़ने से पहले, हामिदा अपने पति की मृत्यु के बाद अपने चार बच्चों का आर्थिक रूप से भरण-पोषण कर रही थी। धोखेबाज भर्ती एजेंट का शिकार होने से पहले उसने दोहा, कतर, दुबई और सऊदी अरब में बिना किसी परेशानी के रसोइया के रूप में काम किया था।