अक्सर ऐसा होता है कि नाकामयाबी इंसान पर इस कदर हावी हो जाती हैं कि गुस्से में कुछ भी कर बैठता है। ऐसा ही कुछ राजेश खन्ना के फिल्मी करियर में हुआ, जब राजेश की एक के बाद एक 7 फिल्में लगातार फ्लॉप होती गई जबकि अमिताभ बच्चन का सितारा चमकता जा रहा था। एक दिन ऐसा भी आया जब उन्होंने समुद्र में ढूब कर जान देनें की सोची। चलिए जानते है राजेश खन्ना की जिंदगी से जुड़े वो दुखद पल जब वो पल-पल रोया करते थे...
डूबता जा रहा था राजेश खन्ना का करियर
दरअसल, बात साल 1976 की है जब इसी साल की शुरुआत में राजेश खन्ना की फिल्म ‘महाचोर’ बुरी तरह फ्लॉप हुई। जहां एक तरफ उनका और डिंपल का रिश्ता टूटता नजर आ रहा था वहीं दूसरी तरफ काका करियर के ढलान पर थे जिसके बाद राजेश खन्ना धीरे-धीरे शराब के नशे में डूबते गए।
अचानक जोर-जोर से चीखने और रोने लगे थे राजेश
यासिर उस्मान ने राजेश खन्ना की जीवनी में लिखा था कि राजेश खन्ना के अंदर जल रही नाकामी की आग को हर शाम की शराब और भी ज्यादा भड़का देती थी। शराब के नशे में भी राजेश नाकामी का गम नहीं मिला पाए, इसी समय ऐसा वाक्य हुआ जिससे डिंपल कपाड़िया बुरी तरह डर गई। एक रात हमेशा की तरह डिंपल और स्टाफ काका को छोड़ सोने चले गए लेकिन उस रात ऐसा हुआ जिसने डिंपल को बुरी तरह डरा दिया। अचानक राजेश खन्ना के जोर-जोर से चीखने और रोने की आवाज आई, तभी डिंपल और स्टाफ भागते हुए टैरेस पर पहुंचा जहां काका फूट-फूटकर रो रहे थे।
राजेश खन्ना करना चाहते थे खुदकुशी
यासिर उस्मान के मुताबिक, राजेश खन्ना खुदकुशी करना चाहते थे क्योंकि वो नाकामी की वजह से पूरी तरह डिप्रेशन में जा चुके थे। उन्होंने इस बात को खुद एक इंटरव्यू में कबूला था। यासिर उस्मान के कहने के मुताबिक, काका समुंद्र में डूबकर अपनी जान देना चाहते थे लेकिन आखिरी मिनट पर काका के मन में ख्याल आया कि वो नाकामी के अंधेरे में नहीं मरेंगे जिस वजह से उन्होंने अपना फैसला भी बदल लिया।
एक्टर के शकी बर्ताव से तंग आ गई थी डिंपल
दरअसल, राजेश खन्ना इस दर्द को अकेले ही झेलते रहते। डिंपल सोचती थी कि आज राजेश उनसे अपनी दिन की बात करेंगे लेकिन ऐसा कभी होता ही नहीं। इसी खामोशी ने डिंपल-राजेश के रिश्ते में दूरिया बढ़ा दी। राजेश खन्ना के चिड़चिड़े और शकी बर्ताव से तंग आकर डिंपल ने राजेश का घर छोड़ दिया और अपने पिता के घर जाकर रहने लगी लेकिन एक महीने बाद डिंपल को एहसास हुआ किया उन्हें यूं राजेश को छोड़कर नहीं आना चाहिए था इसलिए वो फिर उस घर में जाकर रहने लगी लेकिन फिर भी राजेश खन्ना ने इस रिश्ते को सुधारने के लिए कोई पहल नहीं दिखाई। हमेशा मन ही मन खुटते रहे जोकि गलत था। अपने मन के विचारों को दूसरों से शेयर कर लेने से मन का बोझ कम हो जाता हैं और जिंदगी भी आसान लगने लगती हैं लेकिन शायद राजेश खन्ना इस बात को नहीं समझ पाए।