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IVF से ज्यादा सस्ती और सेफ है IVM ट्रीटमेंट, जानिए इसके फायदे-नुकसान

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 26 Aug, 2021 03:56 PM
IVF से ज्यादा सस्ती और सेफ है IVM ट्रीटमेंट, जानिए इसके फायदे-नुकसान

मां बनना किसी वरदान से कम नहीं है लेकिन बांझपन या किसी बीमारी के कारण कुछ महिलाओं को यह सुख नहीं मिल पाता। हालांकि आजकल ऐसे कई ट्रीटमेंट मौजूद है जो महिलाओं का यह सपना साकार कर सकते हैं। उन्हीं में से एक है IVM ट्रीटमेंट। चलिए हम आपको बताते हैं कि आईवीएम तकनीक क्या है और इससे कौन-लाभ उठा सकता है

क्या है आईवीएम?

आईवीएफ ने दुनिया भर में लाखों लोगों को माता-पिता बनने के उनके सपने को साकार करने में मदद की है। मगर, कई साल पहले इन विट्रो मेट्यूरेशन (In Vitro Maturation आईवीएम) नामक एक नई तकनीक आईवीएफ के विकल्प में तेजी से उभरी है, जो महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद है।

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40% तक कारगार तकनीक

आईवीएम तकनीक पहली बार 90 के दशक की शुरुआत में की गई थी हालांकि, तब यह मूल प्रक्रिया पूरी तरह तरह सफल नहीं थी। मगर, समय के साथ-साथ आईवीएम की सफलता दर में सुधार किया गया। वर्तमान आंकड़ों से पता चलता है कि IVM की सफलता दर 32% से 40% है।

आईवीएम और आईवीएफ में क्या अंतर है?

आईवीएम एक सहायक प्रजनन तकनीक है, जिसमें परिपक्व होने से पहले एक महिला से अंडे को एकत्रित किया जाता है। आईवीएम में, अंडे पेट्री डिश में शरीर के बाहर परिपक्वता प्रक्रिया से गुजरते हैं जबकि आईवीएफ में परिपक्वता महिला के शरीर के अंदर प्रेरित होती है। इसमें इंजेक्शन योग्य हार्मोन शामिल होते हैं। एक बार जब अंडे लैब में प्रक्रिया पूरी कर लेते हैं तो उन्हें निषेचित कर दिया जाता है। इसके बाद विकासशील भ्रूण को आईवीएफ प्रक्रिया के समान महिला के यूट्रस में स्थानांतरित कर दिया जाता है।

आईवीएम कैसे काम करता है?

1. सबसे पहले अपरिपक्व अंडों का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट और अल्ट्रासाउंड किया जाता हैं। फिर मासिक धर्म चक्र के 3-5 वें दिन अंडाशय में अंडे का पचा लगाने के लिए एक और अल्ट्रासाउंड किया जाता है। इसके बाद महिला को एचसीजी का इंजेक्शन दिया जाता है, जिससे ओव्यूलेशन प्रेरित हो। 36 घंटे बाद, अपरिपक्व अंडों को न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया द्वारा पुनः प्राप्त किया जाता है।

2. अपरिपक्व अंडों को सेल कल्चर में रखा जाता है और परिपक्वता तक पहुंचने तक 24-48 घंटों के लिए क्यूम्युलिन और सी-एएमपी से प्रेरित किया जाता है। फिर अंडों को इंट्रासाइटोप्लास्मिक शुक्राणु इंजेक्शन (ICSI) देकर निषेचित किया जाता है।

3. भ्रूण को प्रयोगशाला में 5-6 दिनों के लिए विकसित होने के लिए छोड़ दिया जाता है। तब तक महिला को एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन इंजेक्शन दिए जाते हैं। फिर  प्रत्यारोपण की सबसे अधिक संभावना वाले भ्रूण को गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है। 1-2 हफ्ते में प्रेगनेंसी का रिजल्ट आ जाता है।

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किन महिलाओं के लिए फायदेमंद?

. 35 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में आईवीएफ चक्र से बच्चा होने की संभावना लगभग 40% और आईवीएम के साथ 20% है।
. आईवीएम में बहुत कम या बिना हार्मोन के इंजेक्शन की जरूरत होती है, जिससे यह महिलाओं के लिए किफायती हो जाता है।
. डिम्बग्रंथि हाइपरस्टिम्यूलेशन सिंड्रोम (ओएचएसएस) से पीड़ित महिलाओं के लिए यह तकनीक बहुत फायदेमंद है क्योंकि इसमें हार्मोन्स उत्तेजित करने वाली दवाएं कम मात्रा में दी जाती है।
. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से पीड़ित महिलाओं के लिए भी यह तकनीक बहुत फायदेमंद है।
. वे महिलाएं जो पहले आईवीएफ चक्र से गुजरी थीं और उस चक्र के दौरान बड़ी संख्या में अंडे का उत्पादन किया था।

कैंसर से जूझ रही महिलाओं के लिए फायदेमंद

आईवीएम कैंसर से उबरने या ठीक होने वाली महिलाओं के लिए भी बहुत फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि कैंसर कोशिकाओं को ओव्यूलेशन इंडक्शन हार्मोन द्वारा भी उत्तेजित किया जा सकता है। कम हार्मोन का उपयोग करने से रिलैप्स जोखिम कम हो सकता है। इसके अलावा, चूंकि आईवीएम से गुजरने वाले रोगियों के लिए डिम्बग्रंथि उत्तेजना की प्रक्रिया कम होती है, इसलिए कैंसर का इलाज शुरू करने से पहले अंडे या भ्रूण को फ्रीज करने की कोशिश करने वाले रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है।

आईवीएफ से ज्यादा सस्ती और सुरक्षित

आईवीएफ की तुलना में आईवीएम सस्ते होते हैं। इसका सीधा कारण यह है कि इसमें कम या किसी फर्टिलिटी दवा की जरूरत नहीं होती। इन दवाओं की कीमत करीब 2,000 पाउंड तक हो सकती है। वहीं, आईवीएम आईवीएफ की तुलना में अधिक सुरक्षित, सरल और सस्ता है।

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