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उत्तराखंड में जातिवाद का मामला, दलित महिला के बनाए मिड डे मील पर बच्चों को ऐतराज

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 23 Dec, 2021 04:50 PM
उत्तराखंड में जातिवाद का मामला, दलित महिला के बनाए मिड डे मील पर बच्चों को ऐतराज

भारत देश चाहे कितनी भी तरक्की कर गया हो लेकिन आज भी यहां ऊंच-नीच की दीवार नहीं गिरी। नीची जाती के लोगों को आज भी घृणा की दृष्टि से देखा जाता है। हाल ही में उत्तराखंड के चंपावत जिले में हिंदू उच्च जाति के छात्र पिछले हफ्ते से एक दलित महिला द्वारा पकाए गए मिड डे मील को खाने से इनकार कर रहे हैं, जिससे सामाजिक भेदभाव और जातिगत पूर्वाग्रह को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।

अनुसूचित जाति की एक महिला सुनीता देवी को हाल ही में चंपावत जिले के सुखीढांग क्षेत्र के जौल गांव के एक सरकारी माध्यमिक विद्यालय में लंच के लिए रसोइया के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्हें कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों के लिए मिड डे मील तैयार करने का काम सौंपा गया था।

राजकीय इंटर कॉलेज के प्राचार्य प्रेम सिंह ने कहा, "पहले दिन उच्च जाति के छात्रों ने उनके द्वारा बनाए गए मिड डे मील को बिना किसी परेशानी के खा लिया लेकिन अगले दिन से उन्होंने भोजन का बहिष्कार करना शुरू कर दिया। यह मेरी समझ से परे है। कुल 57 छात्रों में से केवल 16 अनुसूचित जाति के छात्रों ने ही यहां भोजन किया।"

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सरकारी मानदंडों के हिसाब से नियुक्ति हुई

प्रिंसिपल का कहना है कि उन्होंने सभी सरकारी मानदंडो के हिसाब से ही महिला को इस काम के लिए नियुक्त किया है। उन्होंने कहा, "हमें इस काम के लिए 11 आवेदन मिले थे। इसके बाद दिसंबर की शुरूआत में आयोजित किए गए अभिभावक शिक्षक संघ और स्कूल प्रबंधन समिति की एक ओपन मीटिंग में उस महिला का चयन किया गया है। सुखीढांग हाई स्कूल में रसोइयों के लिए 2 पद हैं। सुनीता देवी की नियुक्ति शकुंतला देवी के रिटायर होने के बाद की गई है।

ऊंची जाति के योग्य कैंडिडेट को नहीं चुनने का आरोप

पेरेंट्स का आरोप है कि स्कूल मैनेंजमेंट कमेंटी और प्रिंसिपल ने जानबूझकर महिला को भर्ती किया है। अभिभावक शिक्षक संघ के अध्यक्ष नरेंद्र जोशी ने कहा कि पहले इस ओपन मीटिंग में पुष्पा भट्ट को चुना गया था। उनका बच्चा उसी स्कूल में पढ़ता है और वह भी जरूरतमंद थी लेकिन उसे दरकिनार करके दलित महिला को काम पर रख लिया गया। प्रिंसिपल का कहना है कि उन्होंने उच्च अधिकारियों को इसका जानकारी दे दी है लेकिन कुछ पेरेंट्स गैर-जरूरी विवाद खड़ा कर रहे हैं।

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