आज का जमाना काफी मार्डन है लेकिन बात जब लड़के और लड़की की रिलेशन की आती है तो समाज के सोचने का तरीका ही बदल जाता है। बहुत से ऐसे युवा होते हैं जो एक दूसरे को पसंद करते हैं और एक दूसरे के साथ जिंदगी बिताना चाहते हैं लेकिन घर वालों की मंजूरी न मिलने के कारण वह अपने रिलेशन को आगे नहीं बढ़ाते हैं। भारत जैसे देश में रिलेशन तो आम बात है लेकिन लिव इन रिलेशन को आज भी लोग बुरा मानते हैं। लेकिन अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव इन रिलेशन में रह रहे जोड़े को राहत दे दी है और कहा है कि अगर एक लड़की और लड़का अडल्ट हैं तो और एक साथ रहना चाहते हैं तो वह रह सकते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि लिव इन रिलेशन को देश में वैधानिक मान्यता प्राप्त है। इसलिए बिना शादी किए लड़का और लड़की एक साथ जीवन व्यतीत कर सकते हैं।
दरअसल फर्रूखाबाद की कामिनी देवी और अजय कुमार ने याचिका दायर की थी और इसी पर न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया द्वारा आदेश दिए गए हैं।
दोनों लड़के और लड़की की मानें तो वह अडल्ट हैं और एक दूसरे के साथ प्रेम करते हैं। वह तकरीबन पिछले 6 महीनों से साथ में रह रहे हैं लेकिन लड़की के माता पिता उनका उत्पीड़न कर रहे हैं। इतना ही नहीं याचिका दायर करने वाले दोनों लड़की और लड़के का यह आरोप भी है कि लड़की के माता-पिता उसकी शादी एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति के साथ करना चाहते थे। दोनों ने मार्च 2020 में इस संबंध में शिकायत की थी मगर उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई जिसके बाद उन्हें कोर्ट की शरण लेनी पड़ी।
वहीं पीठ ने इस केस में संबंधिक पक्षों की दलील सुनने के बाद कहा ,' माननीय उच्चतम न्यायलय ने यह व्यवस्था दी है कि जहां लड़का और लड़की वयस्क हों और अगर वो दोनों अपनी इच्छा से साथ में रहने चाहते हों उस में उनके माता पिता के साथ-साथ किसी को भी उनके साथ रहने में दखल देने का कोई भी अधिकार नहीं है।'
पीठ ने यह भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सभी को जीवन जीने का अधिकार है और सभी को एक साथ रहने की आजादी है। किसी की भी जिंदगी में किसी को दखल देने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि चाहे दुनिया के कई दूसरे देशों की तरह भारत में भी लिव इन को सामाजिक मान्यता नहीं है मगर दो लोगों के बिना शादी किए साथ रहने से कोई अपराध नहीं बनता है।