![Twins के साथ प्रेग्नेंट महिलाएं आखिरी तिमाही में रखें इन बातों का ख्याल](https://static.punjabkesari.in/multimedia/2023_12image_12_20_435662157407662297_742267141266-ll.jpg)
हाल में ही एक्ट्रेस रुबीना दिलैक ने बताया कि वो Twins के साथ प्रेग्नेंट हैं। ये सुनकर जहां उनके फैंस उनके लिए खुश हैं, वहीं ये बात भी गौर करने वाली है कि ऐसे नाजुक स्थिति में वो पेट में पल रहे Twins का कैसे ख्याल रख रही हैं? बता दें Twins के केस में होने वाली मां की जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ जाती है। आपको 2 बच्चों के लिए खाना खाना होता है और खुद के शरीर को भी Twins की केयर के लिए तैयार करना पड़ता है। वहीं नॉर्मल प्रेग्नेंसी में भी जहां तीसरा ट्राइमेस्टर महिलाओं के लिए मुश्किल होता है तो Twins के वक्त तो और भी ज्यादा कॉम्पिलकेंशन बढ़ने के चंस रहते हैं। ऐसे में जरूरी है कि तीसरे ट्राइमेस्टर में कुछ बातों का ख्याल रखें ताकि बच्चा हेल्दी हो और डिलीवरी के समय कोई परेशानी न हो....
वेट को कंट्रोल में रखें
हर महिला में वजन बढ़ना अलग होता है, लेकिन एक स्वस्थ वजन बढ़ने से जन्म के समय कम वजन वाले बच्चे के होने का खतरा कम हो जाता है। एक स्टडी के हिसाब से तीसरे ट्राइमेस्टर में एक महिला का हर हफ्ते 1.5 पाउंड तक वजन बढ़ना ही सही होता है।
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प्रीनेटल विजिट
तीसरे ट्राइमेस्टर में प्रेग्नेंट महिला के चेकअप ज्यादा होते हैं। आप हफ्ते में एक बार तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं। वहीं आखिरी ट्राइमेस्टर के दौरान आपको बहुत टेस्ट करवाने की जरूरत पड़ सकती है। इनमें आपके बच्चों के विकास और एमनियोटिक द्रव की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड शामिल हो सकता है।
प्रीटर्म लेबर के संकेत समझें
इसमें प्रीमैच्योर डिलीवरी का भी खतरा रहता है। इसका मतलब है कि आपको आखिरी ट्राइनेस्टर में खास ध्यान रखने की जरूरत है। इसका मतलब ये है कि 37 सप्ताह से पहले आपकी डिलीवरी हो सकती है। यदि आपको समय से पहले प्रसव पीड़ा हो रही है तो डॉक्टक आपको बेड रेस्ट की सलाह देंगे या प्रसव पीड़ा को रोकने के लिए दवा भी दे सकते हैं। जितना हो सके डॉक्टर के निर्देश के अनुसार ही चलें। ऐसे में बच्चों के जन्म के समय complications की संभावनाएं कम हो जाएंगी।
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इन संकेतों पर दें ध्यान
यदि आपको समय से पहले प्रसव के कोई भी लक्षण दिखाई दें तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। प्रति घंटे में चार से पांच से अधिक बार संकुचन होना,पेल्विक दर्द या दर्द जो देर तक नहीं रहता, ऐंठन जो मासिक धर्म के दर्द की तरह महसूस होती है, पीठ के निचले हिस्से में लगातार दर्द, पेट दर्द, आपको दस्त भी हो सकते हैं, योनि स्राव में बदलाव, योनि से खून बहना- ये सारे लक्षम दिखने में नजरअंदाज ना करें।
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