![यह तस्वीर सिखाती है कि बच्चे को संभालना मां और पिता दोनों की जिम्मेदारी](https://static.punjabkesari.in/multimedia/2024_6image_13_37_573876769d2-ll.jpg)
अक्सर नवजात बच्चे को संभालने की पूरी जिम्मेदारी मां के कंधों पर डाल दी जाती है फिर वो नवजात को दूध पिलाने का काम हो या उसका डायपर बदलने का, हालांकि कुछ साल पहले एक तस्वीर खूब वायरल हुई थी, जिसने हमें ये सीखा दिया कि बच्चे को संभालना मां और पिता दोनों की जिम्मेदारी है। अगर महिलाएं आपके साथ कदम मिलाकर चल सकती हैं तो पुरुषों को भी घर के काम और बच्चे को संभालने में उनके साथ कदम मिलाकर चलना चाहिए।
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दरअसल कुछ साल पहले समाज की मानसिकता को बदलते हुए बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा अंर्ताराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर मैंस टॉयलेट में डायपर चेंजिंग रूम बनाया गया है ताकि पुरुष भी बच्चों के लिए डायपर चेंजिंग रूम की सुविधा प्राप्त कर सकें। जैसे ही सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीरें वायरल हुईं थी लोगों ने इसकी खूब तारीफें कीं और इसे भविष्य में एक बड़ा बदलाव बताया गया।
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हालांकि सरकार द्वारा की गई इस पहल के जरिए उन पुरुषों को बहुत राहत मिली जो सिंगल फादर हैं या फिर अकेले ही अपने बच्चों के साथ ट्रैवल करते हैं। वहीं कही ना कहीं इस तरह की पहल से लोगों की सोच में भी यह बदलाव जरूर आएगा कि बच्चे को संभालने की जिम्मेदारी मां और पिता दोनों द्वारा ही निभाई जा सकती है। अगर मां ये सब कर सकती है तो पिता भी ऐसी जिम्मेदारी निभाकर अपने जीवनसाथी की मदद कर सकते हैं।
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ये भूमियाएं की मां बच्चो को देखिगी और बाप कमाएगा ये पुराणी हो चुकी है, आज के इस दौर में जहां मां और बाप दोनों कमाते है वहां दोनों की जिम्मेदारी है। अगर मां नहीं भी कमा रही तब भी बच्चो को देखने की जिम्मेदारी बाप की भी होनी चाहिए। क्योंकि घर से निकलकर काम करना ज्यादा आसान है, बजाय बच्चे को घर बैठकर पूरा दिन संभालना।
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वहीं यह भी माना जाता है कि जब बच्चे अपने पिता के आसपास होते हैं तो वे खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं. जब बच्चे सुरक्षित महसूस करते हैं तो वे अपने काम और गतिविधियों पर बेहतर तरीके से ध्यान केंद्रित कर पाते हैं। पिता की ज़िम्मेदारी केवल उन्हें मार्ग दर्शन देना या ज्ञान देना ही नहीं है, पिता अपने प्यार से बच्चों का हौसला बुलंद करने का भी काम कर सकते हैं।