शादीशुदा महिलाओं के सोलह श्रृंगार का अहम हिस्सा होती है पायल। इससे ना सिर्फ महिलाओं की खूबसूरती बढ़ती है बल्कि इससे उन्हें स्वास्थ लाभ भी मिलता है। लेकिन क्या आपने कभी महिलाओं को पैरों में सोने की पायल पहने देखा है? नहीं ना, दरअसल इसके पीछे एक वजह है...
सोना है मां लक्ष्मी का रूप
शास्त्रों की मानें तो महिलाओं के गहनों पर भी कई खास चीजें बताई गईं है, इन्हीं में से एक है पायल। मान्यता है कि कमर के नीचे पहनने वाले गहने कभी सोने के नहीं होने चाहिए। इसका न सिर्फ धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक कारण भी होता है। धार्मिक मान्यता है कि सोने को लक्ष्मी जी का रूप माना जाता है। पैरों में सोने की पायल पहनने से मां लक्ष्मी का अनादर होता है। कहते हैं कि ऐसा करने से धन की हानि का नुकसान झेलना पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पैरों के जिस हिस्से में पायल पहनी जाती है, वहां केतु का स्थान माना गया है। केतु को शांत करने के लिए चांदी की पायल ही पहननी चाहिए, क्योंकि केतु में शीतलता न होने से शरीर के निचले हिस्से पर बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
इसके पीछे है एक वैज्ञानिक कारण भी
इसके एक वैज्ञानिक कारण ये है कि पैरों में सोने के गहनें जैसे पायल और बिछिया पहनने से शरीर में गर्मी बढ़ती है। अगर शरीर के सभी अंगों में सिर्फ सोने के गहने पहनेंगी तो शरीर का तापमान बढ़ने से कई सारी बीमारियों की चपेट में भी आ सकते हैं। कहते हैं कि कमर के ऊपर सोने के गहने और कमर के नीचे चांदी के गहनें पहनने से शरीर का तापमान संतुलित रहता है, जिससे साधक पर बुरा असर नहीं पड़ता। पैरों में चांदी की पायल पहनने से शरीर तापमान बैलेंस रहता है। पायल पैंरों में रगड़ती है जो स्त्रियों की हड्डियों को मजबूत बनाती है।