नारी डेस्क: साल का अंतिम चंद्र ग्रहण 18 सितंबर यानी कि आज है। आज पितृपक्ष का पहला श्राद्ध भी किया जाएगा। भारतीय समयानुसार, चंद्र ग्रहण 18 सुबह 06.12 बजे से लेकर सुबह 10.17 बजे तक रह। हालांकि ये भारत में नहीं दिखा यह सिर्फ यूरोप, अमेरिका, अफ्रीका और एशियो के कुछ हिस्सों में ही देखा गया। इस साल 2 चंद्र ग्रहण लगे थे। साल 2024 का पहला चंद्र ग्रहण 25 मार्च को था।
भोजन करने की मनाही
चंद्र ग्रहण के दौरान भारत में कई धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं हैं जिनका पालन किया जाता है। इस दौरान विशेष सावधानियां और नियमों का पालन किया जाता है। चंद्र ग्रहण के दौरान भोजन करने से बचने की सलाह दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के समय वातावरण में नकारात्मक प्रभाव होता है, जिससे भोजन दूषित हो सकता है। खाने-पीने से पहले, विशेषकर जो ग्रहण के समय रखा गया हो, उसमें तुलसी के पत्ते डालना शुभ माना जाता है। तुलसी एंटी-बैक्टीरियल गुणों के लिए जानी जाती है, जो भोजन को शुद्ध रखने में सहायक मानी जाती है।
धार्मिक अनुष्ठान और मंत्र जाप
चंद्र ग्रहण के दौरान धार्मिक अनुष्ठान, मंत्र जाप, और भगवान का ध्यान करना शुभ माना जाता है। ग्रहण के समय भगवान के मंत्रों का जाप करने से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद मिलती है। गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से ग्रहण के दौरान घर के अंदर रहने की सलाह दी जाती है। यह माना जाता है कि चंद्र ग्रहण का प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर हो सकता है। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान धारदार वस्तुओं का इस्तेमाल करने, जैसे कैंची या चाकू से कुछ काटने से बचने की सलाह दी जाती है। यह एक धार्मिक मान्यता है, ताकि शिशु पर कोई नकारात्मक प्रभाव न हो।
चंद्र ग्रहण के बाद करें स्नान
चंद्र ग्रहण के बाद कई धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के अनुसार कुछ विशेष उपायों का पालन करने की सलाह दी जाती है। चंद्र ग्रहण समाप्त होने के बाद सबसे पहले स्नान करना आवश्यक माना जाता है। इसे शारीरिक और मानसिक शुद्धि के रूप में देखा जाता है, ताकि ग्रहण के दौरान शरीर पर जमा हुई नकारात्मक ऊर्जा को दूर किया जा सके। कुछ लोग विशेष पवित्र नदियों या घर में गंगाजल मिलाकर स्नान करते हैं, इसे और अधिक शुद्धिकरण का तरीका माना जाता है।
पूजा और भगवान का ध्यान
ग्रहण समाप्त होने के बाद भगवान की पूजा करना और उनका ध्यान करना शुभ माना जाता है। कई लोग ग्रहण के बाद अपने इष्टदेव की आराधना करते हैं और विशेष मंत्रों का जाप करते हैं। घर के मंदिर की सफाई और दीया जलाना भी शुभ माना जाता है। इसे सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने का तरीका माना जाता है। चंद्र ग्रहण के बाद दान देने की परंपरा को बहुत शुभ माना जाता है। विशेष रूप से गरीबों, ब्राह्मणों, और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, और धन का दान करना पुण्यकारी माना जाता है। दान में अन्न, गुड़, चावल, या अन्य जरूरतमंद वस्त्र देने की सलाह दी जाती है।
भोजन और पानी का शुद्धिकरण
चंद्र ग्रहण के दौरान खाना बनाने या खाने की सलाह नहीं दी जाती। ग्रहण के बाद नए सिरे से ताजा खाना बनाया जाता है। ग्रहण के दौरान रखा गया पानी और खाद्य पदार्थ फेंक दिया जाता है, और ग्रहण के बाद पानी और अन्य खाद्य सामग्री को शुद्ध करने के लिए तुलसी के पत्ते मिलाए जाते हैं। ग्रहण के बाद घर की सफाई करना भी महत्वपूर्ण माना जाता है। विशेष रूप से रसोई और पूजा स्थल की सफाई की जाती है ताकि ग्रहण के दौरान जमा हुई नकारात्मकता को दूर किया जा सके। घर में गंगाजल या तुलसी का पानी छिड़कना भी शुद्धिकरण के लिए किया जाता है।
पवित्र जल का छिड़काव
ग्रहण के बाद घर के हर कोने में गंगाजल का छिड़काव करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और वातावरण शुद्ध होता है। कुछ लोग ग्रहण के बाद यज्ञ या हवन का आयोजन करते हैं। हवन या यज्ञ के माध्यम से वातावरण को शुद्ध किया जाता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। ग्रहण के बाद धार्मिक पाठ या भजन-कीर्तन करना भी शुभ माना जाता है। इससे मन की शांति और धार्मिक आध्यात्मिक उन्नति होती है।