इन दिनों धूमधाम से गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जा रहा है। बच्चों के लिए यह मौका और भी खास होता है क्योंकि इस दौरान उन्हें खूब मस्ती और मन-पसंद की चीजें खाने को मिलती है। लेकिन त्योहार बच्चों के लिए सिर्फ खाने-पीने के लिए नहीं बल्कि उन्हें जिदंगी की कई चीजें सिखाते हैं। हिंदू पौराणिक कथा में गणेश जी की शिक्षा, बुद्धि, ज्ञान, कला का प्रतीक माना गया है और बच्चों के लिए उनसे कोई बेहतर गुरु नहीं हो सकता। ऐसे में इस गणेश चतुर्थी पर आप उन्हें बप्पा की जिंदगी से जुड़ी बातें सिखाकर जिंदगी से जुड़ी बातें सिखाकर जीवन की सीख दे सकते हैं। आइए बताते हैं आपको विघ्नहर्ता की कुछ ऐसी शिक्षाएं जो बच्चों का मागदर्शन करेंगी।
पेरेंट्स होते हैं सबकुछ
आप बच्चों को गणेश जी की वह पुरानी कथा सुना सकते हैं जब विघ्नहर्ता उनके बड़े भाई कार्तिकेय जी को पृथ्वी के तीन चक्कर लगाने के लिए कहा था। इस दौरान कार्तिकेय जी पूरी पृथ्वी के चक्कर लगाने चले गए थे लेकिन गणेश जी ने अपनी मां पार्वती और पिता शिवजी के चक्कर लगाए थे उन्होंने कहा था कि माता-पिता ही उनका पूरा संसार हैं। उनकी यह बात सिखाती हैं पेरेंट्स ही बच्चों की जिंदगी में सबसे महत्वपूर्ण होते हैं।
ज्ञान के साथ मिलेगी सफलता
आप बच्चों को बता सकते हैं कि ज्ञान होने पर वह जिंदगी की हर परिस्थिति का सामना कर सकते हैं। ज्ञान का हर जगह सम्मान किया जाता है। गणेश जी को भी ज्ञान और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में आप बच्चों को ज्ञान सिखाने के लिए नई-नई गेम सिखा सकते हैं। रीडिंग और क्रॉसवर्ड जैसी पजल गेम्स खिला सकते हैं। इससे बच्चों को दिमाग तेज होता है।
मां की हर बात मानना
विघ्नहर्ता गणेश जी अपनी मां पार्वती की आज्ञा का पालन करने के लिए अपने पिता शिवजी से भी लड़ गए थे। जिसके बाद गुस्सा होकर शिवजी ने उनका सिर काट दिया था। गणेश जी की यह कहानी बताती है कि वह कभी भी अपनी मां की कोई बात नहीं टालते थे।
जिंदगी में न मानें हार
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, गणेश जी को महाभारत की एक कथा लिखनी थी जिसमें 1.8 मिलियन शब्द, हजारों कहानियां और उपकहानियां थी। इसे लिखने के लिए विघ्नहर्ता ने शर्त रखी थी कि वह बिना रुके हुए इसे लिखेंगे। व्यास जी कथा बोल रहे थे कि तभी गणेश जी की कलम टूट गई लेकिन उन्होंने वादा किया था कि वह नहीं रुकेंगे इसलिए उन्होंने अपना दांत तोड़ा और उससे लिखने लगे। उनकी यह कहानी बताती है कि जीवन में परिस्थिति चाहे कैसी भी हो हार नहीं माननी चाहिए।
सिखने से बढ़ेगा ज्ञान
भगवान गणेश जी हमेशा से क्रिएटिव सोच रखते थे। मुश्किल परिस्थितियों में घबराने की जगह वह अलग तरीके से उसका उपाय ढूंढ लेते थे। उनकी इस बात से पता चलता है कि भले ही आपका शरीर कमजोर हो परंतु आप अपनी बुद्धि और समझदारी के साथ हर परिस्थिति का सामना कर सकते हैं।