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क्या सिंगल पेरेंट को मिलना चाहिए Surrogacy का अधिकार? सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला

  • Edited By palak,
  • Updated: 07 Feb, 2024 02:49 PM
क्या सिंगल पेरेंट को मिलना चाहिए Surrogacy का अधिकार? सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला

जमाना भले ही बदल रहा है लेकिन आज भी लोगों की सोच रुढ़िवादी है। लिव इन रिलेशनशिप, समलैगिंक संबंध, सिंगल पेरेंट की सरोगेसी इन मुद्दों पर अपनी राय रखने के लिए झिझकते हैं। अब एक ऐसा ही मामला सामने आया है जहां 44 साल की अविवाहित महिला ने सरोगेसी के जरिए मां बनने की अनुमति लेने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अविवाहित महिलाओं को सरोगेसी की अनुमति देने पर एक सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने अनुमति देने में आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि- 'देश में विवाह संस्था की रक्षा और उसकी संरक्षण किया जाना चाहिए, हम पश्चिमी देशों की तर्ज पर नहीं चल सकते जहां शादी के बिना बच्चे पैदा करना असामान्य बात नहीं है'। 

शादी के दायरे में आकर मां बनना ही सही 

जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने याचिका पर सुनवाई की है। इस दौरान उन्होंने कहा कि - 'भारतीय  समाज में एक अकेली महिला का शादी के बिना बच्चे को जन्म देना नियम नहीं था बल्कि यह झूठ था। यहां शादी के दायरे में आकर मां बनना आदर्श है। शादी से बाहर मां बनना कोई आदर्श नहीं है।' 

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हम बच्चे के कल्याण के दृष्टिकोण से बात कर रहे हैं 

जज नागरत्ना ने कहा कि - 'हम इस पर चिंतित हैं हम बच्चे के कल्याण के दृष्टिकोण से  यह बात कर रहे हैं। देश में विवाह जैसी संस्था जीवित रहनी चाहिए या नहीं? हम पश्चिमी देशों की तरह नहीं हैं यहां शादी चीजों को संरक्षित किया जाना चाहिए। आप बेशक हमें इसके लिए बहुत कुछ कह सकती हैं रुढ़िवादी होने के टैग दे सकते हैं हम इसे स्वीकार करते हैं।' 

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सुप्रीम कोर्ट ने नहीं माना फैसला 

आपको बता दें कि यह याचिका मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाली 44 साल  की एक महिला ने रखी थी।उन्होंने अपने वकील श्यामल कुमार के जरिए सरोगेसी(विनियमन) अधिनियम की धारा 2 (एस) की वैधता को चुनौती देते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। सुनवाई की शुरुआत में बेंच ने महिला को कहा कि मां बनने के कई और भी तरीके हैं। इस दौरान उन्होंने सुझाव दिया कि वह शादी कर सकती हैं या बच्चा गोद ले सकती हैं। हालांकि इस बात पर उनके वकील ने कहा कि - 'वह शादी नहीं करना चाहती है जबकि गोद लेने की प्रक्रिया का वेटिंग टाइम बहुत ही लंबा है। अदालत ने इस पर कहा कि - शादी जैसी चीज को खिड़की के बाहर नहीं फेंका जा सकता। 44 साल की उम्र में सरोगेट बच्चे का पालन पोषण करना मुश्किल है। आपको जीवन में सबकुछ नहीं मिल सकता है। आपके मुवक्किल ने अविवाहित रहना पसंद किया हम समाज और विवाह संस्था को लेकर भी चिंतित हैं, हम पश्चिम की तरह नहीं हैं जहां कई बच्चे मां और पिता के बारे में नहीं जानते हैं। हम नहीं चाहते कि बच्चे माता-पिता के बारे में जाने बिना यहां पर घूमें'। 

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