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1 मई से भारत में आ रही है कोविशील्ड-कोवैक्सीन से ज्यादा असरदार रूसी वैक्सीन sputnik-v, जानिए पूरी डिटेल

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 28 Apr, 2021 03:23 PM
1 मई से भारत में आ रही है कोविशील्ड-कोवैक्सीन से ज्यादा असरदार रूसी वैक्सीन sputnik-v, जानिए पूरी डिटेल

कोरोना संक्रमण के बीच जहां पूरी दुनिया इस वायरस से जुझ रही हैं वहीं इसी बीच कोविड वैक्सीन का अभियान भी जोरों पर है। 1 मई से देश में 18 साल के बाद के उम्र को लोगों भी वैक्सीन की डोज़ दी जाएगी वहीं यह भी खबर सामने आई हैं कि रूस की स्पुतनिक वी वैक्सीन की पहली खेप 1 मई को भारत को मिल जाएगी। इस बात की जानकारी रूसी वैक्सीन के रिसर्च समूह के प्रमुख किरिल दमित्रिव ने एक न्यूज़ चैनल को अपने इंटरव्यू में दी। 

बतां दें कि रूस ने अपनी वैक्सीन को 'स्पुतनिक वी' का नाम दिया है। रूसी भाषा में 'स्पुतनिक' शब्द का अर्थ होता है सैटेलाइट। बतां दें कि  रूस ने ही विश्व का पहला सैटेलाइट बनाया था। उसका नाम भी स्पुतनिक ही रखा था. पिछले साल अगस्त में, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दुनिया का पहला कोविड -19 वैक्सीन की घोषणा की थी।

हालांकि अभी ये स्पष्ट नहीं हुआ है कि 1 मई को भारत आने वाले  वैक्सीन के कितने डोज़ भेजे जाएंगे. जानकारी के मुताबिक आने वाले दिनों में 5 करोड़ वैक्सीन भारत को भेजे जाएंगी। भारत में इस वैक्सीन का आयात शरूआत में डॉ. रेड्डी लैब्स के माध्यम से किया जाएगा।  भारत शुरू में स्पूतनिक वी का आयात करेगा, लेकिन बाद में देश में ही इसका उत्पादन होगा। 
 

कोविशील्ड-कोवैक्सीन की तुलना में ज्यादा असरदार है स्पूतनिक-वी- 
एक्सपर्ट के मुताबिक,  रूस की स्पूतनिक-वी कोरोना वैक्सीन बारत की कोविशील्ड और कोवैक्सीन की तुलना में ज्यादा कारगर  है. रूस के गमालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट का दावा है कि स्पूतनिक वी 91.6 प्रतिशत प्रभावी है, जबकि कोविशील्ड को 80 फीसदी और कोवैक्सीन को 81 फीसदी तक असरदार है।

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फिलहाल भारत में एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित और सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा निर्मित कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के जरिए पूरे देश में टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है. स्पूतनिक वी के आने से देश की इन दो वैक्सीन की डिमांड कम हो सकती है। इस समय कोविशील्ड और कोवैक्सीन के 70 मिलियन शॉट्स का हर महीने निर्माण हो रहा है।
 

 2-8 डिग्री सेल्सियस तापमान में स्‍टोर कर सकते हैं- 
स्पूतनिक वी के निर्माताओं  अनुसार, इस वैक्सीन को भी 2-8 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच स्‍टोर किया जा सकता है. यह वैक्‍सीन भी दो डोज में दी जाती है। कोविशील्ज की दो डोज के बीच का अंतराल चार से आठ हफ्तों का है और इसे इसे स्‍टोर करने के लिए जीरो तापमान (शून्‍य से कम) की जरूरत नहीं है।कोवैक्सीन की दो डोज 4-6 हफ्तों के अंतराल पर दी जाती है। इसे भी 2-8 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान पर स्‍टोर किया जा सकता है।


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जानिए, स्पुतनिक वी वैक्सीन की कीमत-
स्पुतनिक वी वैक्सीन की कीमत करीब 10 डॉलर  (750 रुपए) प्रति डोज है. रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (RDIF) के CEO किरील दिमित्रीव किरील दिमित्रीव ने कहा कि सभी देशों के लिए वैक्सीन की कीमत एक समान होगी. भारत समेत 60 देशों में रूस की वैक्सीन को मंजूरी मिल चुकी है. कई देशों को यह भिजवाई जा चुकी है।
 

हर साल तैयार होगी स्पुतनिक-वी वैक्सीन की 85 करोड़ से अधिक डोज़-
भारत के पास इस समय कोरोनावायरस की तीन वैक्सीन उपलब्ध हो गई हैं. देश में स्पुतनिक वी वैक्सीन को पांच फार्मा कंपनियां तैयार करेंगी और एक साल में कुल 850 मिलियन ( 85 करोड़) डोज बनाए जाएंगे। फिलहाल अप्रैल के अंत तक वैक्सीन की सीमित खुराक उपलब्ध हो जाएंगी। दिमीत्रीव ने कहा कि हमें लगता है कि पहले फेज की डोज अप्रैल के अंत तक और मई की शुरुआत तक तो बिल्कुल डिलीवर कर दी जाएगी और आपको पता होगा भारत में पांच फार्मा कंपनियों से समझौता हुआ है, जो डोज प्रोड्यूस करेंगे। हालांकि, अभी प्रोडक्शन बढ़ाने में एक-दो महीने का समय लग सकता है।  जून तक भारत में हमारी प्रोडक्शन क्षमता बढ़ जाएगी, और हम भारत में टीकाकरण अभियान में काफी अहम साबित होंगे।


 

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