22 NOVFRIDAY2024 4:20:40 PM
Nari

'आशे बोचोर अबार होबे'... सिंदूर खेला  के साथ दी गई मां की विदाई,  ढोल-नगाड़ों पर खूब झूमी महिलाएं

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 24 Oct, 2023 04:23 PM
'आशे बोचोर अबार होबे'... सिंदूर खेला  के साथ दी गई मां की विदाई,  ढोल-नगाड़ों पर खूब झूमी महिलाएं

देश भर के  विभिन्न स्थानों पर निवास कर रहे बंगाल राज्य के निवासियों ने पारंपरिक तरीके से शारदीय नवरात्र समाप्त होने के पश्चात, विजयादशमी पर मां दुर्गा को विदाई दी। इस दौरान, बैंड, बाजों की मधुर धुन के साथ श्रद्वालु ‘आश्चे बोछोर आबर होबे' (ससुराल को विदायी देते हुए दोबारा जल्दी आना) का उद्घोष कर रहे थे। 

PunjabKesari

इस दौरान, सिन्दूर खेला भी उत्साह पूर्वक हुआ। दशमी पर बंगाली समाज के लोगों नेमें नवरात्र समापन का अत्यन्त भव्य रूप से आयोजन किया गया, कई जगह सिंदूर की होली खेली गई। सिंदूर खेला की समाप्ति के बाद मां को विदाई दी गई। मां का विसर्जन कर उनसे जल्दी दोबारा वापस आने की प्रार्थना की गई।

PunjabKesari
इससे एक दिन पहले  नवमी का हवन किया जाता है, जिसमें मां का प्रिया भोग में खिचड़ी प्रसाद, लैबड़ा और टमाटर की चटनी एवं खीर मां को अर्पित की जाती है। बता दें कि सिंदूर खेला में सुहागन महिलाओं को शामिल किया जाता है। इस दौरान पान के पत्तों से मां के गालों को स्पर्श किया जाता है, इसके बाद उनकी मांग को सिंदूर से भरा जाता है और माथे पर भी सिंदूर लगाया जाता है। 

PunjabKesari

इसके बाद मां को पान और मिठाई का भोग लगाया जाता है और उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। फिर सभी महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं और लंबे सुहाग की कामना करती हैं। बताया जाता है कि 450 साल पहले इस प्रथा की शुरुआत की गई थी।

PunjabKesari

ऐसी मान्यता है की मां दुर्गा साल भर में एक बार अपने मायके आती हैं और 10 दिन रुकने के बाद वापस से अपने ससुराल चली जाती हैं। जब मां अपने मायके आती हैं तो उसे अवधि को दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है।


 

Related News