छोटे बच्चों को जहां स्कूल जाना कठिन लगता है वहीं जब बच्चें बड़े होकर जिम्मेदारियों में फंस जाते हैं तब उन्हें इस सुख का अहसास होता है। बड़े होकर हमें स्कूल की हर छोटी-छोटी बातें याद आती हैं जैसे कि- स्कूल में टेस्ट न देना, टेस्ट न देने का बहाना बनाना, परिक्षा के समय किस तरह से चीटींग की गई थी ऐसी हर छोटी-छोटी चीज़ें इंसान को याद आती हैं। वहीं इसके अलावा टीचर द्वारा पनीशमेंट देना भी हर किसी को याद रहता हैं। इसी तरह हमें याद होगा कि कक्षा में गलती करने पर अध्यापक हमें कान पकड़कर उठक-बैठक लगाने की सजा देते थे लेकिन क्या आप जानते हैं इसके पीछे क्या लाॅजिक है, दरअसल, भारत की अन्य परंपराओं की तरह इस प्राचीन पनिशमेंट के पीछे भी वैज्ञानिक कारण मौजूद हैं। आईए जानते हैं इसके बारे में-
उठक-बैठक के पीछे क्या कहती है साइंस-
ऐसा मानना है कि उठक-बैठक करने से ध्यान केंद्रित होता है और मस्तिष्क के कई हिस्से एक्टिवेट होते हैं जिससे एलर्ट रहने में मदद मिलती है और याद्दाश्त में सुधार होता है।
वहीं कुछ दशकों में शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों ने इस विषय पर कई अध्ययन किए हैं, आईए जानते बैं-
कान पकड़कर उठक-बैठक करने से अल्फा वेव्स एक्टिविटी बढ़ती है-
रिसर्च के मुताबिक, एक मिनट तक कान पकड़कर उठक-बैठक करने से तुरंत ही अल्फा वेव्स एक्टिविटी बढ़ जाती है। इसमें कान के लोब्स दबते हैं जो कि एक्यूप्रेशर के मुताबिक ब्रेन का दायां और बायां हिस्सा एक्टिवेट होता है और पिट्यूटरी ग्लैंड एनरजाइज होता है।
कान पकड़कर उठक-बैठक लगाना 'सुपर ब्रेन योगा' है-
एक अन्य स्टडी के अनुसार, कान पकड़कर उठक-बैठक लगाने से ब्रेन में इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी बढ़ती है। इन फायदों को जानने के बाद कई देशों ने इसे पनिशमेंट के तौर पर अपनाया और डॉक्टरों ने एक्सरसाइज के रूप में इसकी सलाह भी दी है। स्कूलों ने इसे 'सुपर ब्रेन योगा' का नाम दिया है। बतां दें कि अमेरिका जैसे विकासशील देशों में कान पकड़कर उठक-बैठक करने में रूचि बढ़ाने के लिए वर्कशॉप भी की जाती हैं।
दिमाग को तेज करने के लिए आप भी लगा सकते हैं कान पकड़कर उठक-बैठक-
अगर आप भी मस्तिष्क की कोशिकाओं को एक्टिवेट करना चाहते हैं या ब्रेन को ताकत देना चाहते हैं तो रोज सुपर ब्रेन योगा करें। शायद यही वजह थी कि स्कूलों में पनिशमेंट के तौर पर बच्चों को यह एक्सरसाइज करने के लिए दी जाती है।