टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम ने पहली बार इतिहास रचते हुए सेमीफाइनल में जगह बना ली है। बतां दें कि 41 साल के इतिहास में महिला टीम ने पहली बार यह कारनामा कर दिखाया है। इस कामयाबी के पीछे किसी एक नहीं बल्कि टीम की 16 बेटियों का कमाल है। ओलंपिक जैसे बड़े स्टर पर पहुंचना ही अपने आप में बड़ी बात है। इन्हीं में से एक है भारतीय टीम की डिफेंडर रीना खोखर जिनका ओलंपिक तक का सफर बेहद मुश्किलों भरा रहा।
एक हादसे के कारण रीना का करियर खत्म होने वाला था लेकिन..
मोहाली जिले के नयागांव की रहने वाली रीना के पिता BSF से रिटायर्ड है। उन्होंने हमेशा रीना को खेल में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। साल 2019 में जिम सेशन के दौरान हुई एक दुर्घटना के कारण रीना का करियर खत्म होने की कगार पर आ पहुंच गया था दरअसल, उन्हें बाईं आंख पर चोट लगी थी और नजर कमजोर होने का खतरा था। लेकिन अपने हौंसले और जज्बे को आगे रख रीना आज ओलंपिक में बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं।
बेटी पर बहुत गर्व है
रीना के पिता कहना है कि हमें अपनी बेटी पर बहुत गर्व है, हम यही चाहते हैं कि हमारे बेटी मेडल लेकर ही देश वापिस पहुंचे। उनका कहना है कि सेमिफाइनल में पहुंचना पूरी टीम की एक जुटती थी जोकि काबिले तारिफ है। रीना के हाॅकी खेल के बारे में उन्होंने बताया कि उसने चीवी से देखकर यह गेम चुना क्योंकि हाॅकी हमारा राष्ट्रीय खेल है इसलिए मैनें भी उसे प्रेरित किया।
रीना ने पांचवी कक्षा से शुरू किया था हाॅकी खेलना
रीना के पिता ने बताया कि उसने पांचवी कक्षा से ही हाॅकी को खेलना शुरू कर दिया था। 18 सेक्टर में वह खेलने जाती थी जहां उसके कोच ने उसका खेल देख उसका आगे के चयन के लिए सिलेक्शन किया। उन्होंने बताया कि घर से दूर रहकर बेटी ने अपने गेम पर पूरा फोकस किया और आज अपनी लगन और मेहनत से ओलंपिक में बेहतरीन प्रदर्शन कर रही है, नतीजन यह है कि अब अपने मजबूत खेल से भारत को मेडल के करीब पहुंचा दिया है।