महिलाएं आज अपनी कला से भारत का नाम विदेशों तक रोशन कर रही हैं। हमारे देश के इतिहास की ओर देखा जाए तो ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं जिन्हें आज भी उन्हें उनके काम की वजह से याद किया जाता है। दरअसल आज हम बात कर रहे हैं उस एक महिला की जिसकी वजह से हम लोग आज AIIMS में अपना इलाज करवा पा रहे हैं।
हम बात कर रहे हैं राजकुमारी अमृत कौर की। वो महिला जो भारत की एक प्रख्यात गांधीवादी, स्वतंत्रता सेनानी और एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं। इतना ही नहीं राजकुमारी अमृत कौर देश की स्वतंत्रता के बाद भारतीय मंत्रिमण्डल में दस साल तक स्वास्थ्य मंत्री भी रहीं। उन्हें देश की पहली महिला कैबिनेट मंत्री होने का भी सम्मान प्राप्त है। तो चलिए आपको राजकुमारी अमृत कौर के बारे में बताते हैं।
कौन थीं राजकुमारी अमृत कौर?
राजकुमारी अमृत कौर कपूरथला के शाही परिवार से ताल्लुक रखती थीं। उनके पिता राजा हरनाम सिंह पंजाब के कपूरथला राज्य के राजसी परिवार से थे। राजकुमारी अमृत कौर पढ़ाई के साथ-साथ जाबड़ खिलाड़ी भी रही। वह अपनी उच्च शिक्षा के लिए ऑक्सफ़ोर्ड चली गईं और जब वह वापिस आई तो देश के हालात देख हताश हुई जिसके बाद उन्होंने यह ठान लिया कि वह अब राजनीति में आएगी।
माता-पिता नहीं चाहते थे आज़ादी की लड़ाई में भाग लें
राजकुमारी अमृत कौर ने जब इस बात को ठान लिया कि वह अपने देश के लिए कुछ करेंगी लेकिन उनके माता पिता यह नहीं चाहते थे कि वह आज़ादी की लड़ाई में भाग लें लेकिन इस वजह ने भी राजकुमारी अमृत कौर को रोका नहीं। इसके बाद 1927 में मार्गरेट कजिन्स के साथ मिलकर उन्होंने ऑल इंडिया विमेंस कांफ्रेंस की शुरुआत की और फिर बाद में इसकी प्रेसिडेंट भी बनीं।
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के साथ मिल कर किया काम
इसके बाद अमृत कौर का सम्पर्क राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी से हुआ। इतना ही नहीं वह 16 वर्षों तक गाँधीजी की सचिव भी रहीं। देश की आजादी के लिए भी राजकुमारी अमृत कौर ने बहुत काम किया और जब देश को आजादी मिली तो उन्होंने यूनाइटेड प्रोविंस के मंडी से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और वहां से उन्हें जीत भी प्राप्त हुई।
AIIMS की स्थापना में अहम भूमिका
राजकुमारी अमृत कौर ने अपने जीवन काल में एक ऐसा संस्थान भी स्थापित करवाया, जो आज देश के सबसे महत्वपूर्ण अस्पतालों में से एक है। इसका नाम है ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज यानी AIIMS। इसके लिए उन्होंने विदेशों से फंडिंग का इंतजाम भी किया।
जेल यात्रा भी की
देश की आजादी के लिए राजकुमारी अमृत कौर ने जेल यात्रा भी की। उन्हें वर्ष 1930 में 'दांडी मार्च' के गाँधीजी के साथ यात्रा की और जेल की सजा भी काटी। वर्ष 1934 से वह गाँधीजी के आश्रम में ही रहने लगीं। उन्हें 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के दौरान भी जेल हुई।
इन उपलब्धियों को किया अपने नाम
राजकुमारी अमृत कौर स्वतंत्रता सेनानी और सामाजिक कार्यकर्ता थी। 1927 में उन्होंने 'अखिल भारतीय महिला सम्मेलन' की स्थापना की। वह भारत की प्रथम महिला थीं, जो केंद्रीय मंत्री बनी थीं। 1950 में इन्हें 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' का अध्यक्ष बनाया गया था। यह सम्मान हासिल करने वाली वह पहली एशियायी महिला थीं।
1964 को राजकुमारी अमृत कौर गुज़र गईं. लेकिन आज़ाद भारत के बनने, और उसके स्वस्थ बने रहने में उनका योगदान एक ऐसी कहानी है, जो सबको पता होनी चाहिए। राजकुमारी अमृत कौर ने पर्दा प्रथा, देवदासी प्रथा और बाल विवाह के ख़िलाफ़ लड़ाई छेड़ी।