नारी डेस्क: प्रेमानंद जी महाराज, जो वृंदावन के प्रसिद्ध साधु हैं अपने प्रवचनों के लिए दूर-दूर से भक्तों द्वारा सुने जाते हैं। इनकी बातें और प्रवचन सोशल मीडिया पर भी बहुत वायरल होते रहते हैं। हाल ही में एक वीडियो में प्रेमानंद जी महाराज ने कलियुग की भविष्यवाणी की, जो हिंदू धर्म के अनुसार योग चक्र का चौथा और सबसे अपवित्र युग है। इस लेख में हम उनके द्वारा की गई कलियुग की भविष्यवाणी पर चर्चा करेंगे और समझेंगे कि वे किस तरह कलियुग को देखते हैं।
कलियुग का क्या है महत्व?
हिंदू धर्म में कलियुग को सबसे निचला और अंधकारमय युग माना गया है। इसे योग चक्र का चौथा युग कहा जाता है और इसमें पाप, अधर्म और अराजकता अपने चरम पर होती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कलियुग का अंत महाप्रलय के साथ होगा और इसके बाद एक नया युग, सतयुग की शुरुआत होगी।
प्रेमानंद जी महाराज की भविष्यवाणी
प्रेमानंद जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि कलियुग की आयु लगभग 4 लाख 32 हजार वर्ष है। इस युग में घोर पाप और अपवित्र आचरण का वातावरण होगा। उन्होंने भक्तों को यह सलाह दी कि वे इस समय में भजन-कीर्तन करें क्योंकि कलियुग के अंतिम समय में यह भी संभव नहीं होगा। जब भगवान सच्चिदानंद कल्कि अवतार धारण करेंगे, तब वह दुष्टों का संहार करेंगे और सतयुग की शुरुआत होगी।

कलियुग में क्या होगा?
झूठ और असत्य का बोलबाला: प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, कलियुग में झूठ, असत्य, हिंसा, शोक, मोह, अंसतोष और कलह अपने चरम पर होंगे। समाज में नैतिकता और सत्य का पतन होगा, जिससे हर व्यक्ति की दृष्टि भ्रष्ट हो जाएगी।
भ्रष्ट समाज और निर्धनता: कलियुग में अधिकतर लोग अत्यंत निर्धन होंगे। उनके पास भोजन और साधन की कमी होगी। लोग अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए हर संभव रास्ता अपनाएंगे, और समाज में गरीबी और भूख बढ़ जाएगी। भाग्य मंद हो जाएगा और मनुष्य अपने जीवन में अशांति महसूस करेंगे।
लुटेरों की संख्या में वृद्धि: कलियुग के अंतर्गत लुटेरों की संख्या बढ़ जाएगी। लोग सत्य के रास्ते पर नहीं चलेंगे और पाखंड का प्रचार होगा। सही मार्गदर्शन देने वाले संत महात्मा भी कम हो जाएंगे और समाज में पाखंडियों का प्रभुत्व बढ़ेगा। लोग धर्म और शास्त्रों के प्रति अपनी श्रद्धा खो देंगे।
धन की होड़ और अपवित्र आचरण: प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि कलियुग में सन्यासियों का भी धन के प्रति लोभ बढ़ जाएगा। संत और महात्मा धन के पीछे दौड़ेंगे, जो कि एक अत्यधिक चिंताजनक स्थिति होगी। स्त्रियों के रूप में भी परिवर्तन होगा, उनका आकार छोटा होगा लेकिन उनकी इच्छाएं और भूख अधिक बढ़ जाएगी। लोग अपने मर्यादाओं को छोड़कर अपवित्र आचरण करेंगे।
वाणिज्य और व्यापार में धोखाधड़ी: कलियुग में व्यापारी अपने लाभ के लिए धोखाधड़ी करने में निपुण हो जाएंगे। उनका दिल बहुत ही क्षुद्र होगा, और वे दूसरों को धोखा देने के लिए हर संभव तरीका अपनाएंगे। इससे समाज में व्यापार और वाणिज्य के क्षेत्र में बड़ी समस्याएं उत्पन्न होंगी।

महाप्रलय का आगमन
प्रेमानंद जी महाराज ने महाप्रलय के बारे में भी बताया। जब कलियुग अपने चरम पर होगा, तब सूखा पड़ेगा और लोग भूख से तड़पने लगेंगे। इस समय मानवता का अस्तित्व संकट में होगा और लोग केवल अपनी कामनाओं को पूरा करने के लिए एक-दूसरे से प्यार का नाटक करेंगे। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई इस समय भगवान के नाम का स्मरण करता है, तो वह अपने पापों से मुक्ति पा सकता है।
कलियुग में मुक्ति का रास्ता
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, कलियुग में भगवान के नाम का स्मरण करना ही पापों से मुक्ति का सबसे सरल और प्रभावी तरीका है। इस युग में भजन-कीर्तन और सत्संग के माध्यम से मनुष्य अपने जीवन को सुधार सकता है और भगवान की कृपा पा सकता है।
कलियुग की भविष्यवाणी हमें यह सिखाती है कि इस अंधकारमय युग में अपनी आत्मा की शुद्धि के लिए हमें भगवान के नाम का स्मरण करना चाहिए और जीवन में भक्ति और सत्य का पालन करना चाहिए। प्रेमानंद जी महाराज की बातें हमें यह चेतावनी देती हैं कि यदि हम समय रहते सतर्क नहीं हुए, तो कलियुग का प्रभाव हमारे जीवन पर बहुत गहरा होगा।