भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी कल 84 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए। फेफड़ों में इंफैक्शन के कारण वह सेप्टिक शॉक में थे, जिसके चलते उन्हें अस्पताल में वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। हालांकि वह अस्पताल में भर्ती करवाए जाने से पहले वह कोरोना पॉजिटिव भी पाए गए थे। चलिए आपको बताते हैं कि वो कौन सी बीमारी थी, जिसकी वजह से दुनिया छोड़ गए प्रणब मुखर्जी...
दिमाग में बन गए थे ब्लड क्लॉट्स
बता दें कि एक एक्सीडेंट के चलते प्रणब मुखर्जी की हाल ही में ब्रेन सर्जरी हुई थी लेकिन सर्जरी के बाद उनके ब्रेन में खून के थक्के बन गए थे। दरअसल, कुछ समय पहले वह बाथरूम में गिए गए थे, जिसकी वजह से उनके मस्तिष्क में ब्लड क्लॉटिंग होने लगी थी।
कोरोना मरीजों को भी हो रही यह समस्या
कुछ समय पहले हुई एक रिसर्च में सामने आया था कि कोरोना मरीजों में मौत की एक वजह रक्त के थक्के बनना यानि ब्लड क्लॉटिंग भी है। हालांकि इसका कारण जानने की कोशिश की जा रही है लेकिन इस समस्या को लेकर कई मामले दर्ज किए गए हैं।
क्या होती है ब्लड क्लॉटिंग?
ब्लड क्लॉटिंग यानि शरीर के किसी भी हिस्से में खून की जम जाना। इसमें खून जेल की तरह बनने लगता है और थक्के का रूप ले लेता है। इसका असर ब्लड सर्कुलेशन पर भी पड़ता है, जिसे थ्रोम्बोसिस भी कहा जाता है। चोट या कटने पर जब खून निकलता है तो क्लॉट उसे रोकने का कारण करता है लेकिन अगर यही क्लॉटिंग नसों में होने लगे तो वो जानलेवा भी हो सकता है।
बन सकता है हार्ट अटैक की वजह
वैसे तो ब्लड क्लॉटिंग से शरीर को नुकसान नहीं होता लेकिन कई बार यह टूटकर एक जगह से दूसरी जगह फैलने लगते हैं। कई बार यह दिल और फेफड़ों में पहुंच जाते हैं और ब्लड सर्कुलेशन को रोक देते हैं। इससे अटैक आने का खतरा रहता है।
क्यों बनते हैं रक्त के थक्के?
. खराब बल्ड सर्कुलेशन
. किसी तरह की चोट लगने के कारण
. विटामिन K की कमी
. नाड़ी के दीवार पर चोट लगना
. किसी सर्जरी या ऑपरेशन के कारण
. कुछ खास दवाओं का सेवन
. गलत डाइट लेना
. फिजिकल एक्टिविटी की कमी
. हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ना
. मोटापा और एक ही पोजिशन में बैठे रहना
कई तरह के होते हैं ब्लड क्लॉट्स
1. प्रणब मुखर्जी के दिमाग में ब्लड क्लॉटिंग हुई थी, जिसे स्ट्रोक भी कहा जाता है। इसके कारण अचानक तेज सिरदर्द, बोलने या देखने में परेशानी हो सकती है।
2. वेनस क्लॉट यानि नसों में रक्त के थक्के बनना। यह धीरे-धीरे बढ़ते हैं, जो शुरूआत में तो नुकसान पहुंचाते लेकिन आगे चलकर खतरनाक हो सकते हैं।
3. आर्टेरियल क्लॉट को सबसे खतरनाक माना जाता है, जिसकी वजह से व्यक्ति को लकवा मार सकता है। यही नहीं, इससे हार्ट अटैक का खतरा भी रहता है।
खून के थक्के बनने के लक्षण
. पसीना अधिक आना
. कमजोरी व घबराहट होना
. हाथों और पैरों का सुन्न होना
. चलने-फिरने में परेशानी होना
. बोलने-सुनने में कठिनाई
. चोट वाले हिस्से में सूजन व दर्द
. सिरदर्द या चक्कर आना
. सांस लेने में परेशानी
कैसे रखें बचाव?
1. इसके लिए सबसे जरूरी है कि आपका ब्लड सर्कुलेशन सही रहें। इसके लिए एक्सरसाइज व योग करें। साथ ही हैल्दी डाइट लें और विटामिन K फूड्स जैसे दही, पालक, कीवी, एवोकाडो, नींबू, गाजर, बादाम, ब्रोकली, पत्तागोभी और चुकंदर खाएं।
2. इसके अलाव धूम्रपान और शराब से परहेज रखें और दिनभर में कम से कम 10 गिलास गुनगुना पानी पीएं।
3. एक ही पोजीशन में अधिक देर तक बैठे ना रहें। अगर ऑफिस में भी काम करते हैं तो बीच-बीच में उठते रहें। इसके साथ ही तनाव लेने से बचें।
4. अगर शरीर के किसी हिस्से पर चोट लगी है तो नारियल, जैतून या सरसों के गुनगुने तेल से मसाज करें।