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Covishield ने छीन ली दो बेटियों की जिंदगी, अब कोर्ट से न्याय मांग रहे हैं ये बेबस माता- पिता

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 02 May, 2024 05:21 PM
Covishield ने छीन ली दो बेटियों की जिंदगी, अब कोर्ट से न्याय मांग रहे हैं ये बेबस माता- पिता

कोरोनाकाल में जहां वायरस से बचाव के लिए हर कोई कोविशील्ड वैक्सीन ले रहा था, वहीं दो लड़कियों की कथित तौर पर इससे मौत हो गई थी। अब लड़कियों के पैरेंट्स ने कंपनी पर केस करने की ठानी है। दोनों परिवारवालों का कहना है वे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पर केस करेंगे। पीड़िता के पैरेंट्स का कहना है कि ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने कोर्ट में इस बात को खुद स्वीकार किया है कि उसके डोज से साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। जिसके बाद अब वो न्याय की गुहार लगा रहे हैं। आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला..

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कोविशील्ड वैक्सीन लेने के बाद गई थी 2 लड़कियों की जान

दरअसल, कोरोनाकाल में ऋतिका श्री ऑम्ट्री और करुण्या नामक 2 लड़कियों की मौत हो गई थी। दोनों लड़कियों ने कोविडशील्ड वैक्सीन लगवाई थी। करुण्या की जुलाई 2021 में मौत हुई थी। वेणुगोपालन गोविंदन का कहना था कि उनकी बेटी करुण्या की कोविड टीका लगावने के महीनेभर बाद मौत हो गई थी। हालांकि सरकार द्वारा  गठिन नेशनल कमेटी ने जांच की और रिपोर्ट में कहा था कि वैक्सीन लेने से मौत होने के आरोपों में दम नहीं है। इस वक्त इस बात के पर्याप्त सबूत भी नहीं थे। इसी तरह वैक्सीन लगने के 2 हफ्ते बाद ऋतिका श्री ऑम्ट्री की भी मौत हो गई थी। इससे पहले कुछ पैरेंट्स ने अपने बच्चों की मौत के लिए भी इस टीके को भी दोषी ठहराया था और कोर्ट का रुख किया था। बता दें, ये याचिकाएं सरकार और वैक्सीन को मंजूरी देने वाले अधिकारियों के खिलाफ दायर की गई थीं। उन मामलों में सीरम इंस्टीट्यूट को पक्षकार नहीं बनाया गया था।

ये भी पढ़ें: कोविडशील्ड वैक्सीन से किसको ज्यादा खतरा? Serum Institute ने दी जानकारी

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वैक्सीन से जम रहे हैं शरीर में खून के थक्के

ये पूरे मामले को मजबूती अब जाकर मिली है जब एस्ट्राजेनेका के ब्रिटिश कोर्ट में अपना दाखिल किए हैं, जिसमें उन्होंने हेल्थ साइड- इफेक्ट्स की बात को कबूला है। फार्मा कंपनी ब्रिटेन में कोर्ट केस का सामना कर रही हैं। कंपनी ने अदालत में जो documents जमा किए हैं, उसमें उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी TTS हो सकता है। इस बीमारी से शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या गिर जाती है। कंपनी ने हालांकि ये बात पर लगातार जोर दिया था सिर्फ कुछ दुर्लभ मामलों में ही ऐसा हो सकता है।

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बता दें, ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका कोविड वैक्सीन को दुनियाभर में 'कोविशील्ड' और 'वैक्सजेवरिया' ब्रांड नाम से बेचा गया था। यूके में जेमी स्कॉट ने कंपनी के खिलाफ मुकदमा शुरू किया था। उन्हें अप्रैल 2021 में एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लेने के बाद ब्रेन इंजरी की शिकायत हुई थी। सुरक्षा को ध्यान में रखकर एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन अब यूके में नहीं दी जाती है. जबकि इंडिपेंडेंट स्टडी ने कोविड-19 से निपटने में इसकी प्रभावशीलता दिखाई है। इसमें दुर्लभ मामलों में रेगुलेटरी स्क्रूटनी और लीगल एक्शन की सलाह दी गई है।

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