भगवान शिव को ऐसे ही भोलेबाबा नहीं कहा जाता वह स्वभाव से इतने भोले हैं कि भक्तों की थोड़ी सी भक्ति से ही उनकी इच्छाएं पूरी कर देते हैं। उनके इसी भोले स्वभाव के चलते एक बार उन्हें ही परेशानी उठानी पड़ी थी। पौराणिक कथाओं की मानें तो शिवजी ने एक बार उन्होंने एक असुर को ऐसा वरदान दे दिया था जिसके कारण उन्हें तीन लोक के चक्कर लगाने पड़े थे। आज शिवरात्रि के इस खास अवसर पर भोलेनाथ की आपको ऐसी ही पौराणिक कथा बताते हैं।
बकासुर ने मांगा था शिवजी से वरदान
एक बार स्वंय भगवान शिव ने राक्षस को ऐसा वरदान दे दिया था जिसने उन्हें तीन लौक में दौड़ा दिया था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बकासुर ने नारद मुनी से पूछा कि वह वरदान पाना चाहता है ऐसे में उसे किसकी तपस्या करनी चाहिए। इस पर नारद जी ने बताया कि ब्रह्मा विष्णु की जगह वह शिवजी की तपस्या करे। नारद के कहने पर बकासुर ने भगवान शिव की तपस्या शुरु कर दी। उसने जप, तप से लेकर भगवान को प्रसन्न करने के लिए अपने शरीर के टुकड़े अग्निकुंड में डालने शुरु कर दिए थे।
शिवजी के पीछे दौड़ा था बकासुर
इस पर भगवान शिव प्रसन्न होकर प्रकट हुए और बकासुर ने उनसे वरदान मांगा कि मैं जिसके भी सिर पर हाथ रखूं। वह भस्म हो जाए। महादेव ने बकासुर को कोई दूसरा वरदान मांगने के लिए कहा लेकिन वह इसी वरदान पर अड़ गया ऐसे में शिवजी ने उसे वरदान दे डाला। बकासुर ने शिवजी से कहा कि यह वरदान पूरा होगा कि नहीं इसकी जांच वह उनके के सिर पर हाथ रखकर करेगा। बकासुर भगवान शिव के पीछे दौड़ पड़ा।
भगवान विष्णु ने किया था बचाव
बकासुर से अपना बचाव करने के लिए शिवजी को 3 लोक के चक्कर काटने पड़े। इसके बाद भगवान विष्णु ने राक्षस की बातों में फंसाकर उसके सिर पर उसका हाथ रखवा दिया। अपने सिर पर हाथ रखने के बाद बकासुर खुद भस्म हो गया जिसके बाद भगवान शिव बच सके।