हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। इसे मनाने का उद्देश्य बेटियों को उनके अधिकार के प्रति जागरूक करना हैं। आज के जमाने की बेटी हर क्षेत्र में अपनी जीत का झंड़ा लहरा रही है। बात बेटियों के आगे बढ़ने की करें तो इसके लिए उसे सबसे पहले व ज्यादा अपने पेरेंट्स के सपोर्ट की जरूरत होती है। मां-बाप का साथ मिलने से बेटियों का आत्मविश्वास बढ़ता है और उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। ऐसे में बेटियों की परवरिश व उनका कांफीडेंस बढ़ाने के लिए पेरेंट्स को कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए। चलिए जानते हैं इसके बारे में...
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'तुम एक लड़की हो लड़का नहीं' ऐसा कहना गलत
आमतौर पर पेरेंट्स भी कई बार अपनी बेटियों को भी ये वाक्य बोल देते हैं। मगर ऐसा कहना बेटी के दिल को चोट पहुंचा सकता हैं। इसलिए बेटी को कभी भी बेटे से कम ना समझें। इसकी जगह पर अपने दोनों बच्चों को एक जैसा रखकर जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दें।
'ये लड़कों वाला काम तुम नहीं कर सकतीं' ऐसा कहने की गलती ना करें
कई करियर ऑप्शन केवल लड़कों के लिए माने जाते हैं। मगर ऐसा सोचना गलत हैं। आज की लड़कियां घर के काम करने से लेकर चांद तक पहुंच गई हैं। ऐसे में ऐसी बात कह उनका हौंसला कम करना गलत है। इस दौरान मां-बाप का फर्ज बनता हैं कि वे अपनी बेटियों को खुलकर जीने व उनकी मर्जी का करियर चुनने के लिए प्रेरित करें। इससे बेटियों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे कांफीडेंस से तरक्की के रास्ते पर चलेंगी।
'ऐसा करना किसी लड़की के बस की बात नहीं' ऐसा ना सोचे
ऐसा हो सकता है कि ऐसे कई काम हो आपने कभी सुने ना हो। मगर ऐसा जरूरी नहीं कि वो लड़कियां ना कर पाएं। ऐसे में इस दौरान लड़कियों को कमजोर समझना गलत है। इसकी जगह पर आप उन्हें हर फील्ड में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें। इससे आपकी बेटी का आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे अपनी जीत के लिए ज्यादा मेहनत करेगी।
अपनी बात रखने का मौका दें
पुराने जमाने से ही लड़कियों को मन की बात कहने से रोका गया है। मगर आज जमाना बदल गया है। आज की बेटी हर क्षेत्र में अपना नाम कमा रही है। ऐसे में इसपर पेरेंट्स का फर्ज बनता हैं कि वे अपनी बेटी पर भरोसा करें। उनका साथ देने के साथ उन्हें उनके मन की बात सबके सामने कहने का मौका दें। इससे उनका कांफीडेंस बढ़ने के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी।
सेल्फ डिफेंस सिखाएं
आजकल महिलाओं पर अत्याचार बढ़ते ही जा रहे हैं। इसपर पेरेंट्स का बेटियों को लेकर असुरक्षित महसूस करना एक तरह से सही बात हैं। मगर इसका मतलब यह नहीं आप बेटियों को घर में कैद रखें। इसके लिए आप अपनी बेटियों को अपने बचाव के तरीके सिखाएं ताकि वह जरूरत पड़ने पर अनजान लोगों से खुद को बचा सके। आप अपने बेटे और बेटी दोनों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दिला सकते हैं।
ऐसे में मां-बाप द्वारा बेटियों के लिए उठाएं ये कदम उनका आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। इसतरह पेरेंट्स का सपोर्ट मिलने से बेटियों को ऊंचाइयों के शिखर पर चढ़ने के लिए कोई नहीं रोक सकता हैं।