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Narak Chaturdashi 2025: यमराज नहीं आने देते अकाल मृत्यु, इस रात जरूर जलाएं यम का दीपक

  • Edited By Monika,
  • Updated: 17 Oct, 2025 05:16 PM
Narak Chaturdashi 2025: यमराज नहीं आने देते अकाल मृत्यु, इस रात जरूर जलाएं यम का दीपक

नारी डेस्क : दिवाली से एक दिन पहले आने वाली नरक चतुर्दशी, जिसे लोग छोटी दिवाली भी कहते हैं, धार्मिक रूप से बेहद पवित्र मानी जाती है। यह दिन केवल खुशियों और सजावट का नहीं, बल्कि पापों के नाश और मृत्यु के भय से मुक्ति का भी प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन यम देव की पूजा और दीपदान करने से अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

नरक चतुर्दशी 2025 की तिथि

आरंभ: 19 अक्टूबर, दोपहर 01:51 बजे

समाप्त: 20 अक्टूबर, दोपहर 03:44 बजे

नरक चतुर्दशी मनाने का दिन: 20 अक्टूबर 2025

ध्यान दें: रूप चौदस का स्नान सूर्योदय से पहले करना आवश्यक है।

अभ्यंग स्नान का समय (Abhyanga Snan Muhurat)

दिनांक: 20 अक्टूबर 2025

समय: सुबह 05:13 बजे से 06:25 बजे तक

महत्त्व: इस दिन उबटन लगाकर स्नान करने से व्यक्ति हर प्रकार की बीमारियों से दूर रहता है।

यम दीपक जलाने की परंपरा

नरक चतुर्दशी की रात को मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर दीपक जलाया जाता है, जिसे यम का दीपक कहा जाता है। ऐसा करने से माना जाता है कि यमराज प्रसन्न होते हैं और घर के सदस्यों की रक्षा करते हैं। यह दीपक मृत्यु के देवता यमराज को समर्पित होता है, जो व्यक्ति की आत्मा को सही मार्ग दिखाने में सहायक माना गया है।

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पुराणों में उल्लेख

स्कंद पुराण और पद्म पुराण में उल्लेख मिलता है कि इस दिन यमराज की आराधना और दीपदान करने से अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है। एक कथा के अनुसार, एक बार राजा हेम के पुत्र की मृत्यु का समय निश्चित था, लेकिन उसकी पत्नी ने नरक चतुर्दशी की रात यम दीपक जलाकर यमराज की आराधना की। इससे यमराज ने दया दिखाते हुए उसके पति को जीवनदान दिया। तभी से इस दिन यम दीपक जलाने की परंपरा शुरू हुई।

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यम दीपक कब और कैसे जलाएं

समय: नरक चतुर्दशी की रात प्रदोष काल में, यानी सूर्यास्त के बाद दीपक जलाना शुभ माना जाता है।

स्थान: घर के मुख्य द्वार के बाहर दक्षिण दिशा में दीपक रखना चाहिए।

दीपक का प्रकार: मिट्टी का दीपक जिसमें सरसों का तेल और एक बाती हो, सबसे शुभ माना जाता है।

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दीपक जलाने से पहले यमराज और यमुना देवी का नाम लेकर प्रार्थना करनी चाहिए।

धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, यम दीपक जलाने से मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है और घर में नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है। वहीं वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो दीपक जलाने से वातावरण में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है, और सरसों के तेल से निकलने वाली सुगंध वातावरण को शुद्ध करती है।

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नरक चतुर्दशी का दिन नकारात्मक शक्तियों के नाश और सकारात्मक ऊर्जा के स्वागत का प्रतीक है। इस दिन यम दीपक जलाना केवल एक धार्मिक कर्मकांड नहीं, बल्कि जीवन में संतुलन, सुरक्षा और शांति का प्रतीक भी है। इस प्रकार, 2025 में नरक चतुर्दशी 20 अक्टूबर को सूर्योदय से पहले अभ्यंग स्नान के साथ मनाई जाएगी और यम दीपक 19 व 20 अक्टूबर दोनों दिन जलाया जा सकता है।

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