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Inspirational: माहवारी के चलते लड़कियां ना हो बीमार इसलिए घर-घर जाकर पैड बांटती हैं मौसम

  • Edited By Janvi Bithal,
  • Updated: 08 Sep, 2020 03:12 PM
Inspirational: माहवारी के चलते लड़कियां ना हो बीमार इसलिए घर-घर जाकर पैड बांटती हैं मौसम

जमाना बहुत आगे जा पहुंचा हैं लेकिन कुछ चीजों  में हम आज भी पीछे हैं। बात अगर महिलाओं की करें तो आज महिलाएं पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं लेकिन वहीं दूसरी ओर ऐसी कईं जगहें हैं जहां महिलाओं को पूर्ण रूप से सुविधाएं प्रदान नहीं की जाती है। बात अगर करें पीरियड्स की तो कईं ऐसे गांव है जहां महिलाओं आज भी पैड नहीं यूज करती हैं लेकिन पैड इस्तेमाल करना महिलाओं की सेहत और साफ सफाई के लिए बेहद जरूरी होता है ऐसे में इसी मदद के लिए आगे आई हैं एक ऐसी लड़की जो महज 19 साल की है। 

हम बात कर रहे हैं मौसम कुमारी की जिसने बेहद कम उम्र में वो काम कर दिखाया जहां तक किसी की सोच भी न पहुंच पाए। दरअसल मौसम कुमारी बिहार के नवादा जिले के नक्सल प्रभावित इलाके की है। वह पिछले कुछ समय से लगातार जरूरतमंद लड़कियों की मदद कर रही हैं और उन्हें  सैनिटरी पैड बांट रही हैं इतना ही नहीं वह इस से होने वाली समस्याओं से भी उन्हें जागरूक कर रही है। 

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खुद की बचत से खरीदती हैं पैड 

मौसम कुमारी इस खर्चे के लिए घरवालों से एक पैसा नहीं लेती है। वह खुद के पैसों से बाजार जाती हैं और खुद के पैसों से पैड खरीद कर खुद जरूरतमंद और गरीब लड़कियों को देने जाती है। 

शुरू में हुई दिक्कतें 

लड़कियों की सेवा करने वाली मौसम कुमारी अभी तक तकरीबन 4000 पैड्स बांट चुकी है वहीं 16 पंचायत के 27 इलाकों में सैनिटरी नेपकिन बैंक बनवाया है। ये सब नक्सल प्रभावित इलाके राजौली ब्लॉक के इलाके हैं लेकिन इस काम को शुरू करना मौसम कुमारी के लिए इतना आसान नहीं था। इसके लिए उन्हें अपने गांव वालों और अपने परिवार का कड़ा विरोध करना पड़ा लेकिन आखिर फिर उसे अपने परिवार का साथ भी मिल ही गया। 

कोरोना काल में भी नहीं रूके कदम 

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इतना ही नहीं मौसम कुमारी की यह मदद कोरोना काल में भी नहीं खत्म हुई और वह लगातार अपनी सहेलियों के साथ मिल कर जरूरतमंद लड़कियों को पैड्स बांटा करतीं। 

इस तरह की सैनिटरी नेपकिन बैंक की शुरुआत 

इस मदद का ख्याल मौसम कुमारी को तब आया जब उसने एक लड़की को पीरियड पेन से जूझते हुए देखा और फिर इसके बाद मौसम कुमारी के मन में मदद का ख्याल आया था। 

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