हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए 16 श्रृंगार बेहद ही खास और महत्वपूर्ण बताया गया है। इस 16 श्रृंगार में बिछिया का अहम रोल है, इसलिए सुहागनें पैर में बिछिया अवश्य पहनती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं इसे पहनने के कुछ वास्तु नियम भी होते हैं। चलिए बताते हैं कि बिछिया पहनते वक्त महिलाओं को किन बातों का विशेष ध्यान देना चाहिए।
बिछिया पहनने का नियम
- सबसे पहले इस बात का ध्यान रखें कि बिछिया कभी भी आवाज करने वाली ना हो। वास्तु के अनुसार आवाज करने वाली बिछिया पहनने से पति पर कर्ज बढ़ता है
-महिलाओ को कभी भी टूटी हुई बिछिया नहीं पहननी चाहिए, क्योंकि इससे पति के जीवन में संकट आ सकता है।
-वास्तु में कहा गया है कि अपनी बिछिया किसी को नहीं देनी चाहिए और ना ही दूसरों का पहननी चाहिए। माना जाता है कि ये लापरवाही पति को आर्थिक नुकसान दे सकती है।
- इस चीज का विशेष ध्यान रखें कि पैरो में कभी सोने का बिछिया नहीं पहननी चाहिए, क्योकि सोने को मां लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है और सोना भगवान विष्णु काे प्रिय है। पैराें में सोना पहनकर हम मां लक्ष्मी का अपमान करते हैं।
- बिछिया को हमेशा अंगूठे के बगल वाली उंगली में ही पहननी चाहिए।
- वास्तु अनुसार, हमेशा चांदी की बिछिया ही पैरों में पहननी चाहिए। इससे मानसिक शांति मिलती है।
- इस बात का भी खास ध्यान रखें कि बिछिया कोई आभूषण नहीं बल्कि सुहाग की निशानी है। इसे लेकर की गई गलती का खमियाजा उम्र भर भुगतना पड़ता है।