'शांति के प्रतीक' कबूतरों को दाना डालना बड़ा अच्छा लगता है लेकिन आपको इस बात का अनुमान शायद न हो कि कबूतरों की बीट और पंखों की धूल आपको बीमार बना सकते हैं। कबूतरों की बीट में ऐसे इंफैक्शन होते हैं जो फेफड़ों को खासा नुक्सान पहुंचाते हैं और जल्दी इस बात का पता भी नहीं चलता। अगर घर में लगे ए.सी. के आसपास कबूतरों ने घोंसला बनाया हो तो यह खतरा कई गुना बढ़ जाता है। एक रिसर्च के मुताबिक, एक कबूतर एक साल में 11.5 किलो बीट करता है। बीट सूखने पर उसमें परजीवी पनपने लगते हैं।
यही नहीं, कबूतरों की बीट और पंखों की धूल से मुम्बई की दो महिलाओं के फेफड़े फेल हो गए। इनमें से 38 वर्षीय होमाली शाह बोरीवली में रहती हैं जबकि 68 वर्षीय एक अन्य महिला ब्रीच कैंडी में रहती हैं। दोनों का हाल ही में मुम्बई में लंग ट्रांसप्लांट किया गया। ये दोनों कई वर्षों से ‘हाइपर सैंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस’ बीमारी से ग्रस्त थीं। हालत बिगड़ने पर उनका लंग ट्रांसप्लांट किया गया।
महिला ने बताया कि उनके घर की छत पर कबूतरों ने घोसला बना लिया था। करीब 2 महीने बाद उन्हें खांसी, सांस लेने में तकलीफ और छाती में दर्द होने लगा। जब वो इलाज करवाने गई तो डॉक्टरों ने उन्हें सीटी स्कैन करवाने के लिए कहा, जिसमें पता चला कि उन्हें 'हाइपरसेंसटिविटी न्यूमोनाइटिस' इंफेक्शन है, जो कबूतरों की बीट के कारण हुआ। इसके बाद महिला की बीमारी को दवाइयों के जरिए ट्रीट किया गया।
कैसे फैलती है बीमारी?
दरअसल, जब कबूतर की बीट सूख जाती है तो पाउडर का रूप ले लेती है, यह हवा के माध्यम से फेफड़ों में प्रवेश कर जाता है, जिससे इंफेक्शन होता है। सिर्फ लंग्स इंफैक्शन ही नहीं, इनकी बीट की वजह से फंगल डिजीज के अलावा कई बीमारियां पैदा हो सकती हैं।
फेफड़ों में इंफैक्शन का बनता है कारण
बीट में पैदा होने वाले परजीवी हवा में घुलकर संक्रमण फैलाते हैं। कबूतर और उनकी बीट के आसपास रहने पर इंसानों में सांस लेने में तकलीफ , फेफड़ों में इन्फैक्शन, शरीर में एलर्जी हो सकती है। कबूतर से होने वाली फेफड़ों की बीमारी को 'हाइपर सैंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस' कहते हैं।
हार्ट अटैक का भी बन सकता है कारण
अगर समय रहते इस बीमारी का इलाज ना करवाया जाए तो इससे हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है। यही नहीं, अगर मामला गंभीर हो तो मरीज का जान भी जा सकती है।
बीमारी के लक्ष्ण
. थकान व कमजोरी महसूस होना
. लगातार सूखी खांसी
. हल्का बुखार चढ़ना
. पेट दर्द, उल्टी की समस्या
. सिर व जोड़ो में तेज दर्द
. सांस लेने में तकलीफ
. छाती में दर्द
. वजन कम होना
इनसे भी होती हैं बीमारियां
. कबूतर और तोते से लंग्स इंफेक्शन
. बिल्ली के बालों में मौजूद डैंड्रफ से अस्थमा
. कॉक्रोच के फीटस से अस्थमा
. पॉल्ट्री फार्म में काम करने से फ्लू और लंग्स इंफेक्शन
. खेतों में मौजूद फंगस से लंग्स इंफेक्शन
बरतें सावधानियां
-किसी भी पशु-पक्षी को छूने के बाद साबुन से हाथ धोएं।
-घर में पशु-पक्षी पालते हों तो उनके नजदीक जाते वक्त मास्क का इस्तेमाल करें।
-पक्षियों की बीट तुरंत साफ करें।
-पक्षियों को घर के भीतर रखने के बजाय बाहर रखें।
पुरानी दिल्ली में सबसे ज्यादा कबूतर
दिल्ली में अक्सर कबूतर गलियों और चौराहों पर दिखाई देते हैं। पुरानी दिल्ली में कबूतरों को पालने का शौक भी लोग रखते हैं। वहीं, पूर्वी दिल्ली और दरियागंज के अलावा कई इलाकों में कबूतरों की बीट गलियों में दिखाई देती है। दिल्ली के अस्पतालों में कबूतर की बीट से होने वाली बीमारी एक्यूट हाइपर सेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस के 300 से भी अधिक मरीज भर्ती हुए है।