नारी डेस्क: इंदिरा गांधी भारत की राजनीति में एक ऐसा नाम है, जिनका व्यक्तित्व और कृतित्व सदा चर्चा में रहा। देश की पहली और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री के तौर पर उन्होंने ऐसे कई फैसले लिए, जिनकी वजह से मोरारजी देसाई द्वारा ‘‘गूंगी गुड़िया'' कही गई इंदिरा ‘आयरन लेडी' के तौर पर उभरीं। जवाहरलाल नेहरू और कमला नेहरू के यहां 19 नवंबर,1917 को जन्मी कन्या को उसके दादा मोतीलाल नेहरू ने इंदिरा नाम दिया और पिता ने उसके सलोने रूप के कारण उसमें प्रियदर्शिनी भी जोड़ दिया।
इंदिरा गांधी के जीवन से सीखने योग्य सबक
फौलादी हौसले वाली इंदिरा गांधी ने लगातार तीन बार और कुल चार बार देश की बागडोर संभाली। वह भारतीय इतिहास की ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने न केवल राजनीति में बल्कि समाज पर भी गहरी छाप छोड़ी। वे भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं और उनकी नेतृत्व क्षमता, दूरदर्शिता, और दृढ़ता ने उन्हें विश्व राजनीति में एक विशेष स्थान दिया। उनके जीवन और कार्यों से आज भी हम कई महत्वपूर्ण सबक ले सकते हैं।
दृढ़ नेतृत्व (Strong Leadership)
इंदिरा गांधी का नेतृत्व कठोर निर्णय लेने की उनकी क्षमता के लिए जाना जाता है। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में उनकी निर्णायक भूमिका ने बांग्लादेश को स्वतंत्रता दिलाई। इससे सबक मिलता है कि कठिन परिस्थितियों में दृढ़ता और साहस के साथ निर्णय लेना नेतृत्व की पहचान है।
आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास (Self-reliance and Confidence)
इंदिरा गांधी ने "हरित क्रांति" (Green Revolution) के माध्यम से भारत को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया। उन्होंने दिखाया कि आत्मविश्वास और सही दिशा में प्रयास से बड़ी चुनौतियों को भी पार किया जा सकता है। आत्मनिर्भर बनने के लिए दीर्घकालिक दृष्टि और कठोर मेहनत जरूरी है।
महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment)
एक महिला के रूप में राजनीति के क्षेत्र में अपनी जगह बनाना उनके समय में एक असाधारण उपलब्धि थी। उन्होंने साबित किया कि महिलाएं नेतृत्व करने में पुरुषों के बराबर सक्षम हैं। उनसे सीख लेकर महिलाओं को अपने सपनों और क्षमताओं पर विश्वास करना चाहिए।
देशप्रेम और राष्ट्रीय एकता
इंदिरा गांधी का जीवन देश की सेवा के प्रति समर्पित था। "गरीबी हटाओ" जैसे अभियानों से उन्होंने समाज के निचले तबके को मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया। उनसे हमें सीखने को मिला कि देश के विकास के लिए समर्पण और एकता की भावना जरूरी है।
आलोचना से न घबराना
इंदिरा गांधी ने अपने जीवन में कई आलोचनाओं और विवादों का सामना किया, जैसे आपातकाल (1975-77)। उन्होंने हर परिस्थिति में अपनी जगह बनाए रखी और वापस सत्ता में लौटकर दिखाया। इसके अलावा उनकी विदेश नीति और भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर सशक्त बनाने की कोशिश उनकी दूरदर्शिता का प्रमाण है। उन्होंने हमें सिखाया कि आज के फैसलों का प्रभाव भविष्य पर होता है, इसलिए सोच-समझकर कदम उठाएं।
हमारे समय के लिए इंदिरा गांधी के संदेश
परिवर्तन के लिए तत्पर रहें: समय बदलने के साथ बदलाव को अपनाना और अनुकूल बनना सफलता की कुंजी है।
साहस और आत्मविश्वास बनाए रखें: चाहे परिस्थिति कितनी भी चुनौतीपूर्ण क्यों न हो, दृढ़ विश्वास और साहस से आगे बढ़ें।
सामाजिक असमानता को दूर करें: समाज के कमजोर वर्गों को ऊपर उठाने के लिए हरसंभव प्रयास करें।
महिलाओं को प्रेरित करें: इंदिरा गांधी ने अपनी पहचान बनाकर साबित किया कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल कर सकती हैं।
देशहित को सर्वोपरि रखें: राष्ट्र के विकास और उसकी एकता के लिए हमेशा समर्पित रहें।
इंदिरा गांधी का जीवन प्रेरणा का स्रोत है। उनकी नेतृत्व क्षमता, कठिन परिस्थितियों में आत्मविश्वास, और देशभक्ति हमारे समय में भी प्रासंगिक है। उनके आदर्श हमें यह सिखाते हैं कि चुनौतियों का सामना कैसे किया जाए और अपने सपनों को पूरा करने के लिए कैसे आगे बढ़ा जाए। "इंदिरा गांधी न केवल एक नेता थीं, बल्कि एक विचारधारा थीं।"