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मेहंदी, झूला, गीत...  जानें महिलाओं के लिए क्यों खास है हरियाली तीज का त्यौहार ?

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 06 Aug, 2024 01:07 PM
मेहंदी, झूला, गीत...  जानें महिलाओं के लिए क्यों खास है हरियाली तीज का त्यौहार ?

हरियाली तीज का त्योहार न केवल माता पार्वती और भगवान शिव के पुनर्मिलन की पौराणिक कथा को जीवंत करता है, बल्कि यह महिलाओं के वैवाहिक जीवन की खुशियों और समृद्धि का भी प्रतीक है। यह त्यौहार महिलाओं को अपने रिश्तों को मजबूत करने, प्यार और भक्ति को प्रकट करने का अवसर प्रदान करता है। यह दिन उनके जीवन में खुशियों, आनंद, और रंग-बिरंगे उत्सवों का संदेश लेकर आता है। चलिए जानते हैं इस त्यौहार का महत्व 

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पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या इतनी कठोर थी कि उन्होंने कई जन्मों तक शिवजी को प्राप्त करने के लिए प्रयास किए। माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। यह पुनर्मिलन हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है, जो प्यार, भक्ति और समर्पण का प्रतीक है।


महिलाओं के लिए तीज का महत्व

हरियाली तीज महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह उनके वैवाहिक जीवन की खुशियों और सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है। वे इस दिन अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं। यह दिन उनके पति के प्रति प्रेम और भक्ति का प्रतीक है।अविवाहित लड़कियां अच्छे पति की प्राप्ति और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए इस व्रत को करती हैं।

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किस तरह मनाया जाता है ये त्यौहार 

 घरों को हरे रंग से सजाया जाता है, जो हरियाली का प्रतीक है। महिलाएं इस खास दिन में अपने हाथों और पैरों पर मेहंदी लगाती हैं। महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं, जिसका अर्थ है कि वे पूरे दिन कुछ भी नहीं खाती-पीतीं। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है। इन दिन तीज की कथा सुनाई जाती है, जिसमें माता पार्वती की तपस्या और भगवान शिव के साथ उनके पुनर्मिलन की कहानी होती है।

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सांस्कृतिक गतिविधियां

तीज में पेड़ों पर झूले डाले जाते हैं, और महिलाएं एक-दूसरे के साथ झूला झूलती हैं। महिलाएं पारंपरिक गीत गाती हैं और नृत्य करती हैं। यह उनके सामूहिक आनंद और उत्सव का हिस्सा है। इस दिन हरे रंग के वस्त्र पहनते जाते हैं, जो हरियाली का प्रतीक है। शाम को पूजा के बाद महिलाएँ व्रत तोड़ती हैं। परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर विशेष प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं।  विभिन्न प्रकार के पकवान जैसे घेवर, पूड़ी, सब्जी, और मिठाइयां बनाई जाती हैं।
 

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