हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पावन पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा व व्रत करने से सुख-समृद्धि, शांति व खुशहाली आती है। इसी के साथ बहुत से भक्त भगवान शिव की कृपा पाने के लिए उनके मंदिरों में दर्शन करने जाते हैं। वैसे तो भारत देश में शिव जी के बहुत से प्रसिद्ध मंदिर है। मगर उनके 12 ज्योतिर्लिंगों का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस 12 पवित्र जगहों पर जो शिवलिंग स्थापित है। उनमें भगवान शिव खुद वास करते हैं। इसी लिए इन्हें ज्योतिर्लिंग कहते हैं। कहा जाता है कि इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने से ही पापों से छुटकारा मिल कर सुख-समृद्धि व शांति मिलती है। तो चलिए हम आपको इस आर्टिकल में 12 ज्योतिर्लिंग के बारे में बताते हैं।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गुजरात
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात के अरब सागर के तट पर स्थापित है। शिव पुराण के अनुसार, चंद्रमा को प्रजापति दक्ष द्वारा शाप मिलने से वे क्षय रोग पीड़ित हो गए थे। ऐसे में इससे बचने के लिए चंद्रमा ने भगवान शिव की पूजा व तप किया था। शिव जी ने उनसे खुश होकर उन्हें अपने सिर पर धारण करके रोग से मुक्ति दिलाई थी। फिर चंद्रमा ने उसी जगह पर सोमनाथ ज्योतिर्लिंग स्थापित किया था।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, आंध्र प्रदेश
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर स्थापित श्रीशैल पर्वत पर बना हुआ है। इसे दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है। मान्यता है कि शिव जी के इस ज्योतिर्लिंग के सिर्फ दर्शन से सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश
मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थापित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग शिव जी का एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। इस मंदिर की महिमा का वर्णन पुराणों, महाभारत और कई महाकवियों की रचनाओं में मिलता है। यहां की भस्म आरती पूरे विश्व प्रसिद्ध होने से दूर-दूर से लोग इसका आनंद लेने आते हैं। मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग से जीवन की समस्याओं का अंत होकर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में है। यह नर्मदा नदी के किनारे पर्वत पर बना हुआ एक तीर्थ स्थल है। कहा जाता है कि श्री ब्रह्मा जी के मुख से ऊं शब्द का उच्चाहरण हुआ था। इसी लिए सभी धार्मिक वेदों का पाठ ऊं शब्द से होता है। साथ ही इसका नाम ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पड़ा। मान्यता है कि सभी तीर्थों का जल इकट्ठा करके ओंकारेश्वर में अर्पित करने से सारे तीर्थ पूरे हो जाते हैं।
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तराखंड
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग को 4 धामों में से एक माना जाता है। यह उत्तराखंड में अलखनंदा और मंदाकिनी नदियों के तट केदार नाम की चोटी पर बसा है। साथ ही इसके पूर्वी दिशा में श्री बद्रीनाथधाम मंदिर स्थापित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बद्रीनाथ जाेन वाले यात्रियों को केदारनाथ के दर्शन करना बेहद जरूरी है। नहीं तो उनकी पूजा व यात्रा अधूरी मानी जाती है।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे से करीब 110 किलोमीटर दूर बसा हुआ है। ज्योतिर्लिंग बेहद मोटा होने से यह मोटेश्वर महादेव के नाम से पुकारा जाता है।
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में गंगा नदी के तट पर विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग स्थापित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव कैलाश छोड़कर इसी स्थाप पर निवास किया था। मान्यता है कि भगवान शिव के इस मंदिर के दर्शन करने व गंगा स्नान से मोक्ष मिलता है। महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर इस मंदिर को खासतौर पर सजाया जाता है। साथ ही ढोल व नगाड़े से शोभा यात्रा निकाली जाती है।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक से शहर से करीब 30-35 किलोमीटर दूरी गोदावरी नदी पर स्थापित है। इस मंदिर को काले पत्थर से तैयार किया गया है। शिवपुराण के अनुसार गौतम ऋषि और गोदावरी द्वारा आग्रह करने पर भगवान शिव ने इसी जगह पर निवास किया था। ऐसे में यह दुनियाभर में त्र्यंबकेश्वर नाम से मशहूर हुआ।
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, झारखंड
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में नौवां स्थान प्राप्त है। यह झारखंड के देवघर में स्थापित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, लंका पति रावण ने अपने बल व तप से भगवान शिव को लंका ले जाने का प्रयास किया था। तब शिव जी ने शिवलिंग का रूप लेकर रावण को उसे पकड़ कर लंका ले जाने को कहा था। साथ ही शर्त रखी थी कि इस शिवलिंग को हाथ से छोड़ें ना। मगर रावण को देवघर के पास पहुंचकर लघुशंका लग गई। तब रावण ने एक ग्वाले को शिवलिंग पकड़ा कर चला गया। मगर उस ग्वाले से शिवलिंग का भार सहन ना होने उसने उसी जमीन पर रख दिया। तब शिव जी वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के रुप में वहीं स्थापित हो गए।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, गुजरात
भगवान शिव का नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात में बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के पास स्थापित है। शिव जी ने नाग वासुकी को धारण किया था। ऐसे में उन्हें नागों के देवता भी कहा जाता है। ऐसे में यह नागेश्वर मंदिर के नाम से विख्यात हुआ।
रामेश्वर ज्योतिर्लिंग, तमिलनाडु
भगवान शिव का 11 ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाथपुरम् ज़िले में स्थापित है। माना जाता है कि लंका पर चढ़ाई करने से पहले राम जी ने शिवलिंग स्थापित करके भगवान शिव जी की पूजा की थी। ऐसे में यह रामेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से स्थापित हुआ।
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में अंतिम स्थान पर आता है। कई भक्तों द्वारा इसे घुश्मेश्वर के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर को देवी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा बनवाया गया था। इस मंदिर के पास एक सरोवर भी बना हुआ है जो शिवालय के नाम से विख्यात है। इस मंदिर व सरोवर के दर्शन करने से ही मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।