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Janmashtami 2025: घर में बरकत-पैसा खत्म नहीं होगा, बांसुरी का करें खास उपाय

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 13 Aug, 2025 08:27 PM
Janmashtami 2025: घर में बरकत-पैसा खत्म नहीं होगा, बांसुरी का करें खास उपाय

नारी डेस्क : जन्माष्टमी का त्यौहार देशभर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जन्माष्टमी मनाई जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी दिन रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इसलिए उनके जन्मोत्सव के रूप में यह त्यौहार मनाया जाता है। आपको बता दे कि भगवान श्री कृष्ण को बांसुरी बेहद प्रिय है। वहीं वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में लकड़ी, बांस, चंदन, पीतल, चांदी या फिर सोने की बांसुरी रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। धार्मिक मान्यता है कि जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण को चांदी की बांसुरी अर्पित करने से धन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जन्माष्टमी पर यदि आप श्री कृष्ण को चांदी की बांसुरी अर्पित करते हैं तो ये ज्यादा शुभ फलदाई होगा। जानिए जन्माष्टमी पर चांदी की बांसुरी अर्पित करने का महत्व और कारण।

1. भगवान श्री कृष्ण और बांसुरी का संबंध

भगवान श्री कृष्ण का सबसे प्रसिद्ध स्वरूप उनके बांसुरी बजाने वाला रूप है। उनकी बांसुरी की मधुर तान सुनकर गोकुल और वृंदावन के वनस्पति, नदियां, पशु-पक्षी और गोपियां सब मंत्रमुग्ध हो जाते थे। बांसुरी उनकी दिव्य आभा और प्रेम का प्रतीक है। इसलिए जन्माष्टमी पर चांदी की बांसुरी अर्पित करना उनके प्रेम और संगीत की शक्ति को सम्मानित करने जैसा है।

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2. चांदी का ज्योतिषीय और धार्मिक महत्व

चांदी को शास्त्रों में शुद्धता, सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। चांदी का स्पर्श नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और घर-परिवार में शांति व समृद्धि लाता है। जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर चांदी की बांसुरी अर्पित करने से घर में सौभाग्य, खुशहाली और भगवान की कृपा बनी रहती है।

3. जन्माष्टमी की विशेष तिथि और समय

जन्माष्टमी का दिन और रात दोनों ही अत्यंत शुभ माने जाते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण के जन्म से जुड़ी ऊर्जा अत्यधिक तीव्र होती है। इसलिए इस दिन चांदी की बांसुरी अर्पित करने से वह ऊर्जा घर-परिवार में स्थायी रूप से प्रवाहित होती रहती है।

4. बांसुरी के माध्यम से सकारात्मक ऊर्जा का संचार

चांदी की बांसुरी में न केवल भगवान की लीला और प्रेम की शक्ति समाहित होती है, बल्कि उसे बजाने या उसे सम्मान देने से सकारात्मक तरंगे उत्पन्न होती हैं। ये तरंगें मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और ऊर्जा के संतुलन का कारण बनती हैं।

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5. भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने का उपाय

ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए उनकी पसंदीदा वस्तुएं अर्पित करनी चाहिए। बांसुरी भगवान की प्रिय वस्तु है। विशेषकर चांदी की बनी हुई बांसुरी उनके लिए अत्यंत प्रिय मानी जाती है, जिससे उनके आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होती है।

जन्माष्टमी के पावन अवसर पर चांदी की बांसुरी अर्पित करना न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह भगवान श्री कृष्ण के प्रति प्रेम, श्रद्धा और सकारात्मक ऊर्जा का भी प्रतीक है। इससे घर में सुख-शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का वातावरण बनता है। इसलिए यह प्रथा सदियों से चली आ रही है और आज भी इसे शुभ माना जाता है।

 

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