तनाव अब हमारे जीवन का एक सामान्य हिस्सा बन गया है और 2 तरीकों से आप इससे बाहर जा सकते हैं। आप अपनी सभी प्रतिबद्धताओं को पीछे छोड़ तथा अपनी सभी जिम्मेदारियों को त्याग कर सुखी जीवन अपना सकते हैं। हालांकि, चूंकि यह संभव नहीं है, हम अधिक संभव तथा आसान विकल्प तलाशते हैं। अपनी नियमित योग तकनीकों में निवेश करें जैसे कि आसन, प्राणायाम तथा ध्यान आदि का अभ्यास। यह सुनिश्चित करेगा कि आपने अपनी शारीरिक, मानसिक, भावात्मक तथा आध्यात्मिक तंदरुस्ती का ध्यान रखा है। इसमें सूर्य नमस्कार, चंद्र नमस्कार को भी शामिल किया जा सकता है। फिर भी अगर आपके पास एक लंबे अभ्यास के लिए समय की कमी है तथा खुद को अत्यंत व्यस्त पाते हैं तो आपको मात्र 15 मिनटों की जरूरत है।
हल्के व्यायाम से शुरूआत करें। इसमें हल्के से गर्दन, बाजूओं, कलाइयों, कूल्हों, टखनों को घूमा कर जोड़ों को वार्मअप करें। तेज कदमों से इधर-उधर टहलें तथा अपनी मांसपेशियों को खींचे और गतिशील करें। यह आपके शरीर को अभ्यास के लिए तैयार कर देगा तथा उससे संबंधित चोटों से सुरक्षित रखेगा।
कुछ ऐसे आसान आसन हैं, जिन्हें आफ 1-1 मिनट के लिए कर सकते हैं।
पादहस्तासन- हाथ से पांव तक मुद्रा
चक्रासन- पहिये जैसी मुद्रा
अदोमुखी स्वनासन- नीचे झुक कर कुत्ते जैसी मुद्रा
हस्त उत्तानआसन- बाजू उठा कर मुद्रा
हलआसन- हल जैसी मुद्रा
मुद्राएं तथा मंत्रोच्चारण
किसी भी तरह की सुविधाजनक स्थिति में बैठें- सुख आसन, अर्द्धपद्मासन, वज्रासन या पूर्ण पद्मासन करें। अपनी पीठ सीधी रखें, कंधे आराम की स्थिति में तथा आंखें बंद करके अपनी सांस पर ध्यान केंन्द्रित करें।
प्राप्ति मुद्रा
जब आप कटोरी की मुद्रा में अपनी दोनों हथेलियों को ऊपर की तरफ करके अपने घुटनों पर रखें, जिससे प्राप्ति मुद्रा बनेगी। प्राप्ति का अर्थ है कुछ लेना या ग्रहण करना और यह मुद्रा आपको दैविक ऊर्जाएं प्राप्त करने में सक्षम बनाती है। आप अपना अभ्यास इन मंत्रों के उच्चारण के साथ शुरू कर सकते हैं ताकि आपके लिए शक्तिशाली दैविक ऊर्जाएं उत्पन्न हों।
ऊँम सिद्धो हम: मैं अस्तित्व की पूर्णता की ओर अग्रसर हूं।
ऊँम संघो हम: मैं एक दैविक समुदाय का हिस्सा हूं।
ऊँम आनंदो हम: मैं परमानंद हूं।
ऊँम गुरू मांडल्य नमाह।
ऊँम गुरूभयो नमाह।
ऊँम हिमालय नमाह।
अंत में, पांचवा एवं आखिरी युक्ति जो आपको तनावमुक्त जीवन जीने में मदद कर सकते है, वह एक पैदल चलने तथा अपने आप से बात करने का अभ्यास- पैदल चलना एक ऐसी क्रिया है जिसे चिकित्सीय माना जाता है। प्रतिदिन अपने कार्यालय के गिर्द या पड़ोस में चक्कर लगाने के लिए एक सुविधाजनक समय निकालें। आत्मनिरीक्षण करें तथा खुद से बातचीत करें। यह प्रक्रिया आपको अपना मन साफ करने तथा सही रास्ता निकालने में मदद करेगी ताकि आप अपने सामने आने वाली कठिन स्थितियों से बाहर निकल सकें।