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यूट्रस निकलवाने का पड़ता है आपके दिमाग पर असर, जानिए 6 बड़े साइड इफेक्ट्स

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 02 Jul, 2020 06:09 PM
यूट्रस निकलवाने का पड़ता है आपके दिमाग पर असर, जानिए 6 बड़े साइड इफेक्ट्स

बहुुत सी महिलाएं बच्चेदानी (यूट्रस) की समस्याओं से ग्रस्त होने के बाद उसे निकलवाने का फैसला लेती हैं लेकिन आपको बता दें कि इससे पहले आपको कुछ जानकारियां जरूर होनी चाहिए क्योंकि यूट्रस निकलवाने का असर आपके दिमाग पर पड़ सकता है।

भूलने की बीमारी का खतरा हो जाता है कई गुणा

शोध के अनुसार, यूट्रस निकलवाने से डिमेंशिया यानी भूलने की बीमारी का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है। जैसे ही महिलाएं यूट्रस हटाने की सर्जरी करवाती हैं, उनमें अर्ली मेनोपॉज आ जाते हैं। जिसके चलते वह धीरे-धीरे चीजों को भूलने लगती हैं जिसे  ब्रेन फॉग भी कहते हैं, जो यूट्रस से निकलने वाले हॉर्मोन्स की वजह से होता है।

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पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा डिमेंशिया की शिकार

जहां पुरुषों में डिमेंशिया का खतरा 39% होता है, वहीं महिलाओं में 61% होता है, जिसका एक कारण बच्चादानी निकलवाना भी है। भारतीय महिलाओं पर इसका खतरा अधिक मंडरा रहा है क्योंकि यहां हिस्टेरेक्टॉमी यानी बच्चेदानी हटाने के ऑपरेशन की प्रतिशत दर तेजी से बढ़ी हैं।

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार, भारत में यूट्रस निकलवाने वाली महिलाओं की संख्या में 15 से 49 साल की उम्र की महिलाएं शामिल हैं। सिस्ट, यूट्रस के कैंसर, ब्लीडिंग या किसी इंफैक्शन के कारण डॉक्टर यूट्रस निकलवाने की सलाह देते हैं लेकिन महिलाओं की उम्र औसतन 34 साल होनी चाहिए। हालांकि इस बात को नजरअंदाज करते हुए महिलाएं यूट्रस सर्जरी करवा रही हैं, जिससे उनमें बीमारियों का खतरा भी बढ़ता जा रहा है।


यूट्रस निकलवाने के साइड इफैक्ट्स 

सबसे बड़ा खतरा कैंसर

इस सर्जरी में लैप्रोस्‍कोपी हिस्‍टेरेक्‍टोमी में पॉवर मोसेलेटर्स के जरिए यूट्रस टिश्‍यूज को तोड़ा जाता है, ताकि लैप्रोस्‍कोपिक चीरे से यूट्रेस को बाहर निकाला जा सके। इस प्रक्रिया के दौरान कैंसर जनित टिश्‍यूज पूरे शरीर में फैल सकते हैं, जो कैंसर का खतरा बढ़ा देते हैं।

आसानी से नहीं जाते दाग

आसानी से नहीं जाते दाग बच्चादानी निकलवाने के बाद रिकवरी में काफी समय लग जाता है। साथ ही सर्जरी के दौरान शरीर पर लंबा कट लगाया जाता है, जिसके दाग आसानी से नहीं जाते। कई बार तो यह निशान सालों-साल ऐसे ही रहते हैं।

वैजाइना को नुकसान

अगर सर्जन सर्जरी ध्यान से न करें तो इससे वैजाइना को नुकसान पहुंचता है। ऐसे में बेहतर होगा कि आप सोच-समझकर ही यह फैसला लें। वहीं इंफेक्शन का खतरा भी हो सकता है। 

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एनीमिया का खतरा

इस दौरान महिलाओं के शरीर से बहुत खून निकल जाता है, जिसे वो जल्दी रिकवर नहीं पाती। इतना ही नहीं, कई बार इससे महिलाओं में ब्लड क्लॉटिंग भी हो जाती है, जिससे दिल और फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है।

समय से पहले मेनोपॉज

बच्चादानी निकलवाने से महिलाओं को अर्ली मेनोपॉज की समस्या हो जाती है, जिससे दिमाग पर बुरा असर पड़ता है। साथ ही इससे स्वभाव में चिड़चिड़ापन और मानसिक विकार आदि  का खतरा भी बढ़ जाता है।

आस-पास के अंगों में चोट

इससे कई बार यूट्रस के आस-पास के अंग जैसे फैलोपियन ट्यूब, आंतें, पेल्‍विक हड्डियां और ओवरी को चोट लग सकती है। इस चोट के कारण टेटनेस या अन्य इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है। वहीं सर्जरी के निशान भी पड़ जाते हैं जो लंबे समय तक नहीं जाते। 

एनेस्‍थीसिया से दिक्‍कत

सर्जरी के दौरान होने वाले दर्द से बचने के लिए डॉक्‍टर मरीज को एनेस्‍थीसिया डोज देते हैं। इसके कारण महिलाओं को सांस लेने में दिक्कत और दिल से संबंधित समस्या हो सकती है।

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