रमजान का महीना बहुत ही पवित्र माना जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, रमजान नौंवे महीने में मनाई जाती है। वहीं रमजान के आखिरी दिन हर साल ईद-उल फितर मनाई जाती है। ईद उल फितर को मीठी ईद भी कहते हैं। मुस्लिम लोग इस पर्व को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। इस दिन एक-दूसरे के गले लगकर ईद की बधाई देते हैं। इस्लामिक चंद्र कैलेंडर के अनुसार, शव्वाल महीने के पहले दिन ईद का त्योहार मनाया जाता है लेकिन इस साल ईद कब है और इसका क्या महत्व है आज आपको इस बारे में बताएंगे। आइए जानते हैं।
रोजे पूरे होने का प्रतीक मानी जाती है ईद
मुस्लिम समुदाय के लोगों का पवित्र त्योहार ईद बहुत ही खास माना जाता है। इस दिन का सभी मुसलमान लोग बेसब्री से करते हैं। ईद उल फितर को रोजे का पूरा होने के प्रतीक माना जाता है। रमजान के इस पूरे महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग 29-30 दिनों का रोजा रखते हैं और जैसे ही ईद का चांद दिखता है तो इनका रोजा भी पूरा हो जाता है। ईद के मौके पर लोग नए-नए कपड़े पहनते हैं। मीठी सेवईयां खाते हैं। एक-दूसरे के घर दावत पर जाते हैं। अल्लाह की इबादत करते हुइस पर्व को खास बनाते हैं।
चंद्रमा के दीदार के बाद मनाई जाएगी ईद
इस्लामिक चंद्र कैलेंडर की मानें तो ईद का त्योहार 10वें शव्वाल महीने के पहले दिन मनाया जाता है। इस बार यह तिथि 10 अप्रैल को पड़ रही है। वहीं मुस्लिम पर्व चंद्रमा के दर्शन के बाद ही मनाए जाते हैं। वहीं ईद का चांद दिखने के बाद ही ईद की सही तारीख पता चलेगी। परंतु 10 या 11 को ही ईद मनाई जाएगी।
ईद-उल-फितर का महत्व
यह त्योहार मुस्लिम समुदाय के लोग धूमधाम के साथ मनाते हैं। इस दिन अल्लाह का शुक्रिया करते हुए एक-दूसरे को गले लगाकर ईद की मुबारक बाद देते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन पैगंबर हजरत मुहम्मद ने बद्र के युद्ध में जीत हासिल की थी। ऐसे में इसी खुशी में हर साल यह खास दिन मनाया जाता है। 624 ई. में पहली बार ईद उल फितर मनाई गई थी। खुशी, जश्न, प्रेम और भाईचारे जैसी चीजों को बढ़ावा देना ही ईद का महत्व है। इसलिए इस दिन लोग एक-दूसरे के गले मिलते हैं और त्योहार की मुबारकबाद देते हैं।