डायबिटीज मरीजों के लिए शगुर कंट्रोल करना सबसे जरूरी है। अगर खून में शुगर लेवल बढ़ जाए तो आंखों की रोशनी तक जा सकती है। साथ ही इससे शरीर के जरूरी अंगों पर भी असर पड़ता है। मगर, डायबिटीज मरीजों को इस बात का पता ही नहीं कि शुगर लेवल हाई कब होता है। शरीर में रक्त शर्करा की मात्रा अधिक होने को हाइपरग्लेसेमिया (Hyperglycemia) कहते हैं। चलिए आपको बताते हैं कि क्या है हाइपरग्लेसेमिया, इसके लक्षण, कारण और कंट्रोल करने के उपाय....
क्या है हाइपरग्लेसेमिया?
जब शरीर में जरूरत अनुसार इंसुलिन नहीं बन पाता तो उस स्थिति को हाइपरग्लेसेमिया कहा जाता है। डायबिटीज मरीजों में खानपान, दवाओं के सेवन में बरती गई लापरवाही इस स्थिति को जन्म देती है, जिसे आम भाषा में हाई ब्लड शुगर भी कहा जाता है।
कितने शुगर लेवल को कहते हैं High?
आमतौर पर हाइपरग्लाइसेमिया की स्थिति इस बात पर निर्भर करता है कि किसी व्यक्ति के रक्तप्रवाह में कितना ग्लूकोज है। ब्लड शुगर के स्तर को हाई तब माना जाता है जब वो भोजन से पहले 130 मिलीग्राम/डीएल या भोजन के 1-2 घंटे में 180 मिलीग्राम/डीएल से अधिक हो। बहुत से लोग हाई ब्लड शुगर के लक्षणों को तब तक अनुभव नहीं करेंगे जब तक वो 250 मिलीग्राम/डीएल या उससे अधिक न हो जाए।
शुगर लेवल कब होता है खतरनाक?
शोध के अनुसार, 300 मिलीग्राम/डीएल से ऊपर की रीडिंग खतरनाक हो सकती है। अगर ब्लड शुगर 300 मिलीग्राम/डीएल की 2 या अधिक रीडिंग हैं तो तुरंत डॉक्टर से चेकअप करवाएं।
क्या होता है ब्लड ग्लूकोज?
शरीर को रोजाना खाई जाने वाली चीजों के जरिए ही ग्लूकोज प्राप्त होता है। शरीर में मौजूद इंसुलिन ही ग्लूकोज को सेल्स तक पहुंचाकर शरीर को ऊर्जा देता है। ग्लूकोज लेवल पर कई तत्व असर डालते हैं जैसे खानपान की आदतें, ज्यादा एक्सरसाइज, कोई बीमारी, इंफेक्शन या कुछ तरह की दवाएं।
कारक जो बढ़ा सकते हैं हाइपरग्लेसेमिया
. शरीर में हार्मोन्स असंतुलित होना
. लगातार कुछ खास दवाओं का सेवन
. पहले से कोई क्रोनिक डिजीज होना
. किसी तरह का संक्रमण
. सर्जरी, इंसुलिन रेजिस्टेंस जैसे कारक भी इसकी वजह बन सकते हैं।
हाइपरग्लेसेमिया के शुरुआती लक्षण
शोध की मानें तो हाइपरग्लेसेमिया से ग्रस्त मरीजों में टाइप-2 डायबिटीज की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में जब ग्लूकोज लेवल 180 से ऊपर जाए तो जांच करवा लें। इसके अलावा ये लक्षण दिखने पर सतर्क हो जाए...
. पानी अधिक पीने की इच्छा होना
. पेशाब जल्दी-जल्दी आना
. बेवजह थकान महसूस करना
. आंखों से धुंधला दिखाई देना
इसके अलावा अगर स्थिति गंभीर हो तो
. बेचैनी महसूस करना
. पेट में तेज दर्द बने रहना
. उल्टी, जी मिचलाना
. सांस लेने में परेशानी
. और कुछ लोग कोमा में भी जा सकते हैं।
. अगर समय रहते इलाज ना किया जाए तो ब्लड वेसल्स, आंखें, हार्ट, किडनी और नसें डैमेज हो सकती हैं।