घर का टॉयलेट (शौचालय) कितना भी सुंदर क्यों न हो अगर वास्तु नियमों के अनुसार इसका निर्माण ना किया जाए तो यह नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है। वहीं, गलत तरीके से बनी टॉयलेट उस घर के सदस्यों के सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। वास्तु के अनुसार, इससे बच्चों का करियर और पारिवारिक रिश्ते भी खराब हो सकते हैं। चलिए आज हम आपको बताते हैं टॉयलेट से जुड़े कुछ वास्तु नियम...
किस दिशा में बनवाएं टॉयलेट?
. वास्तुशास्त्र के अनुसार विसर्जन के लिए दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम दिशा को सर्वश्रेष्ठ माना गया है इसलिए इस दिशा में शौचालय बनवाना अच्छा होता है। इसके अलावा पूर्व, दक्षिण-पूर्व की ओर शौचालय बनवाना भी सही होता है।
. जब दक्षिण-पश्चिम दिशा संतुलित होता है तो पारिवारिक संबंध और आपसी समन्वय अच्छा रहता है। साथ ही इस दिशा में बना शौचालय पारिवारिक रिश्तों में कड़वाहट को दूर कर सकता है।
इस दिशा में भूलकर भी बनवाएं टॉयलेट
उत्तर दिशा
घर के उत्तर-दिशा में बना शौचालय रोजगार संबंधी परेशानियां पैदा करता है। इस दिशा में बने शौचालयों में रहने वाले लोगों को धन कमाने के अवसर कम ही मिलते हैं।
ईशान कोण
यह दिशा भगवान की मानी जाती है इसलिए शौचालय के कारण शारीरिक और मानसिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इस दिशा में बने शौचालय परिवार के सदस्यों की इम्यूनिटी कमजोर करते हैं और इससे सदस्य बीमारियों से घिरे रहते हैं।
पूर्व दिशा
पूर्व दिशा का संबंध सूर्य से है। यह सामाजिक संबंधों की दिशा भी है। ऐसे में इस दिशा में शौचालय होने से सामाजिक संबंध खराब होते हैं।
दक्षिण-पूर्व
कहा जाता है कि दिशा में बना शौचालय जीवन की मुश्किलों को बढ़ा देता है और इससे मांगलिक कार्यों में रुकावट आ सकती है। साथ ही इससे धन का आगमन भी रुक सकता है।
दक्षिण दिशा
सुख-समृद्धि का क्षेत्र दक्षिण दिशा में बना टॉयलेट परिवार के सदस्यों का तनाव बढ़ा सकता है। ऐसे घर में रहने वाले लोगों को मान सम्मान और शोहरत नहीं मिलती।
पश्चिम या उत्तर दिशा
पश्चिम या उत्तर पश्चिम दिशा में शौचालय होने से धन संबंधी समस्या भी उत्पन्न हो सकती है। वास्तु अनुसार, इससे मेहनत करने के बाद भी मनचाहा फल नहीं मिलता।
इन बातों का भी रखें ख्याल
. शौचालय में खिड़की या दरवाजा कभी भी दक्षिण दिशा में नहीं होना चाहिए।
. वास्तु शास्त्र के अनुसार, टॉयलेट में सिरेमिक टाइल्स का इस्तेमाल करना चाहिए।
. फर्श का ढलान उत्तर, पूर्व या उत्तर होना चाहिए।
. टॉयलेट कभी भी किचन या मंदिर के साथ नहीं बनवाना चाहिए।
. सीढ़ियों के नीचे टॉयलेट, किचन, पूजाघर या स्टोर रूम नहीं बनवाना चाहिए। वास्तु के नजरिए से इसे अशुभ माना जाता है।
. एक ही टॉयलेट में कभी भी 2 सीट नहीं होनी चाहिए। साथ ही बाथरूम और टॉयलेट दोनों अलग-अलग बने होने चाहिए।