नारी डेस्क: मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम भक्त हनुमान जी को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। हनुमान जी की जन्मकथा और उनकी बाल लीलाओं से जुड़ी कथाएं तो हमने कई बार सुनी है, लेकिन यह बात शायद बहुत कम लोग जानते हैं कि हनुमान जी की माता अंजनी एक अप्सरा थीं, जो वानर बन गईं थी। आज जानते हैं इस पौराणिक कथा के बारे में विस्तार से।
अत्यंत सुंदर अप्सरा थीं पुंजिकस्थला
पौराणिक कथा के अनुसार, पुंजिकस्थला, स्वर्ग में एक अत्यंत सुंदर अप्सरा थीं। एक दिन जब वह धरती पर भ्रमण कर रही थीं, तो उन्होंने कुछ ऋषियों को देखा और उनके प्रति असम्मानजनक व्यवहार किया। उनका यह व्यवहार देख एक ऋषि ने क्रोधित होकर उन्हें श्राप दिया कि वह एक वानरी के रूप में जन्म लेंगी। पुंजिकास्थली ने ऋषि दुर्वासा से क्षमा याचना की., तब ऋषि दुर्वासा ने दया दिखाते हुए कहा कि तुम्हारे गर्भ से शिव जी के ग्यारहवें रुद्र अवतार का जन्म होगा, जिसके कारण तुम अपने रूप में पुनः आ जाओगी।
ऋषि ने क्रोधित होकर दिया श्राप
श्राप के परिणामस्वरूप पुंजिकस्थला को वानर रूप में जन्म लेना पड़ा और वह अंजनी नामक वानरी बन गईं। ऋषि के श्राप के कारण ही अंजनी को वानरराज केसरी से प्रेम हुआ और ऋषि के आशीर्वाद से ही उन्हें शिवजी के अंश के रूप में वीर हनुमान जी जैसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।
हनुमान जी ने श्राप को बदला वरदान में
यह श्राप उनके लिए एक वरदान के रूप में बदल गया, क्योंकि उनके पुत्र हनुमान जी भगवान शिव के अवतार बने और रामायण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। इस प्रकार, अंजनी देवी का यह रूप और श्राप भगवान हनुमान के जन्म का कारण बना, जिन्होंने रावण के विरुद्ध युद्ध में भगवान राम की सहायता की।
नोट: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।