बच्चों के सबसे पहले टीचर्स उनके पैरेंट्स ही होते हैं। न सिर्फ बच्चों की सेहत का ख्याल रखना पैरेंट्स का काम होता है बल्कि उन्हें अच्छे संस्कार देना भी उनकी जिम्मेदारी ही बनती है। अगर आप ऐसा करने में नाकाम होते हैं और आपका बच्चा एक इंसान नहीं बन पाता है । ऐसे में लोग सबसे पहला ताना पैरेंटस को ही मारते है- 'मां- बाप ने ये ही सिखाया है क्या? ' इसलिए जरूरी है कि बच्चों को बचपन से ही कुछ आदतें सिखा दी जाएं, क्योंकि छोटी उम्र के बच्चे जल्दी सिखते हैं तो उन्हें 7 बातें जरूर सिखा दें।
दखल न देना
बच्चे को दूसरों की बातें ध्यान से सुनना सिखाएं। बीच में टोकने की आदत से उसे बचाएं ताकि वो बड़ा होकर एक अच्छा सुनने और बोलने वाला बन सके। ऐसे में वो दूसरों की बातों का सम्मान करना सिखेगा।
अच्छे शब्दों का इस्तेमाल
बच्चे के साथ खुद भी घर में सम्मानजनक तरीके से बात करें। बच्चा पैरेंट्स से ही सिखता है तो जब आप उन्हें 'आप' कहकर बात करेंगे तो वो भी इन्हीं शब्दों का इस्तेमाल करेगा। उन्हें भी ये बताएं कि अगर उन्हें किसी भी बातों से सहमत न भी हों तो कैसे शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रखी जा सकती है।
अपनी बारी का इंतजार
बहुत से बच्चों की आदत होती है कि वो खेल के दौरान अपनी बारी को लेकर एक- दूसरे से भिड़ जाते हैं। अपने बच्चे को सिखाएं कि वो बातचीत, खेल या किसी भी एक्टिविटी में अपनी बारी का इंतजार करें और दूसरों को भी मौका दें।
शेयरिंग करना
बच्चे को शेयर करना सिखाना बहुत जरूरी है। उन्हें खिलौने और खाने की चीजें शेयर करना सिखाएं। उन्हें दूसरों को अटेंशन देना भी सिखाएं।
अपना काम खुद करना
ये आदत तो बच्चों को सिखानी बहुत जरूरी है। उन्हें बचपन से ही उनकी जिम्मेदारी का अहसास दिला दें। उन्हें अपने कमर को साफ रखने को कहें। खाने के बाद टेबल साफ करना, अपने जूते और कपड़ों को सही जगह पर रखना जैसी चीजों की आदत डालें।
परमिशन लेना
बच्चे को शुरू से ही ये बात सिखाएं कि वो बिना परमिशन दूसरों की चीजों को न लें। किसी के कमरे में जाने से पहले परमिशन लें।
हाइजीन रखना
बच्चे को साफ रहना सिखाएं न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी। बच्चे को हाथ धोना, खांसते या छींकते वक्त रुमाल का इस्तेमाल करना, आसपास को साफ रखना सिखाएं।