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बड़ी दिलचस्प है "फेविकोल मैन" की कहानी, अपने एक आइडिया से देश को दिया मजबूती का जोड़

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 11 Nov, 2022 09:33 AM
बड़ी दिलचस्प है

फेविकोल का मजबूत जोड़ जो टूटेगा नहीं...ये बात हम सालों से सुनते आ रहे हैं और यह सच भी है कि  फेविकोल कंपनी ने लोगों को अपने आप से जोड़ लिया है। बात चाहे  बुक्स के कवर चिपकाना की हो या फर्नीचर,  घर की दीवारों पर रंग रोगन की हो फेविकोल का इस्तेमाल हर घर में किया जाता है। आप हम आपको भारत में ग्लू बनाने वाली इस कंपनी के मालिक की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्हे बेशक लोग ना जानते हों लेकिन उनका बनाया प्रोडक्ट आज हर एक भारतवासी जानता है।

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भारत की आर्थिक स्थिति को किया मजबूत

हम बात कर रहे हैं भारत के फेविकोल मैन नाम से पुकारे जाने वाले Pidilite कंपनी के फाउन्डर बलवंत पारेख की, जो कभी कभी चपरासी का काम किया करते थे लेकिन उनकी मेहनत और जुनून ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचा दिया। उनका नाम उन उद्योगपतियों के नाम में शामिल है, जिन्होंने आजाद भारत की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में अपना अहम सहयोग दिया है। 

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गुजरात के रहने वाले थे बलवंत पारेख 

फेविकोल को बनाने वाली कंपनी का नाम है पिडिलाइट,  जिसे बलवंत पारेख ने शुरू की थी। वलवंत पारेख जी का जन्म सन 1925 में गुजरात के भावनगर जिले में स्थिति महुवा नामक गांव में हुआ था। परिवार के कहने पर उन्होंने वकालत तो कर ली लेकिन उनके अंदर बिजनेस करने के गुण थे।   महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित पारेख मानते थे कि, सत्य को हमेशा आगे रखना चाहिए। उनकी नज़र में अहिंसा के लिए कोई जगह नहीं थी. जबकि वकील के पेशे में झूठ का धंधा चलता है। यही वजह रही कि वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद भी उन्होंने कभी लॉ प्रेक्टिस तक नहीं की। 

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गोंद को लेकर की रिसर्च

वकालत छोड़ने के बाद वह मुंबई आ गए जहां उन्होंने प्रेस में नौकरी की लेकिन काम में मनना लगने के कारण उन्होंने  लकड़ी व्यापारी के ऑफिस में बतौर चपरासी की नौकरी शुरू कर दी।  उन दिनों कारीगर जानवरों की चर्बी को गोंद की तरह काम में लाते थे। ये देख पारेख ने रिसर्च की और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि कुदरती गोंद की बजाय सिंथेटिक रसायन से ही कोई रास्ता निकल सकता है। इस सोच के साथ फेविकोल के निर्माण ने उनकी खोज को एक विराम दिया। 

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1959 में फेविकोल को उतारा बाजार में 

इस आइडिया के बारे में उन्होंने अपने भाई सुनील पारेख को बताया और आज़ादी के लगभग 12 साल बाद 1959 में पिडिलाइट ब्रांड की स्थापना की।पिडिलाइट इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने एक सफेद, गाढ़े और एरोमेटिक सुगन्ध वाले गोंद के साथ बाजार में कदम रखा। भारत में उस समय ऐसा कोई उत्पाद नहीं था जो फेविकोल की तरह हो, जो किसी भी चीज को जोड़ने के लिए इस्तेमाल में लाया जा सके। बेहतरीन क्वालिटी, डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क, कस्टमर रिलेशन और दिल को छू जाने वाले विज्ञापनों के जरिये फेविकोल हर किसी की जरूरत बन गया।

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दुनिया भर में धाक जमा रही है पिडिलाइट

आज पिडिलाइट अमेरिका, ब्राजील,थाइलैंड, सिंगापुर और दुबई स्थित इकाइयों के जरिये दुनिया भर में धाक जमा रही है। पिडिलाइट कंपनी को अपने 200 से ज्यादा प्रोडक्ट्स के मुकाबले सबसे ज्यादा प्रॉफिट फेविकोलसे ही होता है। 90 के दशक में सोफा वाली ऐड बहुत चली और इसी ऐड की वजह से   फेविकोल ने लोगों के दिलों एक चाास जगह बना ली। एशिया के 100 सबसे अधिक धनी लोगों की लिस्ट में शामिल Balvant Parekh ने अपने गांव और कस्बे के लिए बहुत कुछ किया।  गुजरात के एक सामान्य परिवार में जन्में बलवंत पारेख ने 25 जनवरी 2013 को दुनिया को अलविदा कह दिया। 
 

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