एक बेटी के लिए उसके पापा उसके रोल मॉडल होते हैं। बेटी चाहे अपने दिल की हर एक बात या फिर कोई भी और प्रॉबल्म अपनी मां के साथ शेयर करे मगर कहीं न कहीं उसका अपने पापा के साथ स्नेह मां से थोड़ा बढ़कर होता है। यह प्यार केवल बेटी की तरफ से ही नहीं बल्कि पापा भी बेटे से ज्यादा अपनी लाडली को स्नेह करते हैं। मगर आज हम समाज में जहां भ्रूण हत्या और लड़कियों के साथ हो रहे रेप, दहेज के कारण आग से जलाई जाने वाली लड़कियों की आप बीती सुनते हैं तो कहीं न कहीं आज एक पिता बेटी का जन्म सुनकर सोच में जरुर पड़ जाता है, कि आने वाले कल में मेरी इस लाडली का भविष्य भला क्या होगा?
मगर समाज की इन कुरितियों से डरकर एक बच्ची के जन्म पर उदास होना या फिर उसके जीवन में बंदिशें लगाना भी तो सही नहीं है। जरुरी है तो बेटी का पालन-पोषण कुछ इस तरह करना कि वह अपने पैरों पर खड़ी हो सके, समाज में होने वाले कुरितियों के खिलाफ बोल सके और किसी और पर निर्भर होने की बजाय खुद पर विश्वास रख सके। ऐसा तभी होगा जब एक पिता अपने कर्तव्य को अच्छे से समझेगा और अपनी बेटी का पालन अपना बेटा समझकर करेगा। आइए आज जानते हैं एक पिता को बेटी का पालन-पोषण करते वक्त किन-किन बातों का खास ध्य़ान रखना चाहिए।
बचपन से ही बनाएं स्ट्रांग
माना आज का दौर एक बेटी के लिए सेफ नहीं रहा, मगर इसका मतलब यह नहीं कि हम लड़कियों से उनके जीने की हसरत छीन लें। एक पिता ही नहीं बल्कि घर के सभी सदस्यों को चाहिए कि वह अपनी बेटी को अच्छे-बुरे की पहचान करना सिखाएं। अपनी हर बात घर आकर पेरेंट्स को बताएं। अगर कोई तंग करता है तो अपनी मां से जरुर इस बारें में शेयर करे और किसी से डरे नहीं।
अपने हक की मांग करना
बेटी हो चाहे बेटा हर किसी को उसके हक पता होने चाहिए। मगर अपना हक मांगना किस तरह है इसका तरीका भी आपको बच्चों को जरुर सिखाना चाहिए। बड़ों से लड़कर या फिर ऊंची आवाज में बात करना गलत है आप उन्हें बचपन से ही सिखाएं।
बेटी के लिए सेविंग
अक्सर लोग बेटों के लिए पैसा जोड़कर रखते हैं। बेटियों के लिए बस उनकी शादी के लिए ही पैसा जोड़ा जाता है। शादी के लिए भी पैसा जरुरी है, मगर सबसे जरुरी है बेटी की पढ़ाई या फिर उसके भविष्य के लिए पैसों की सेविंग।
भावनाओं की कदर
एक लड़की को हमेशा मोरल सुपोर्ट यानि एक साथ की जरुरत होती है, न केवल लड़की को बल्कि हर किसी को एक साथ जरुर चाहिए होता है। एक लड़की के बेस्ट सुपोर्ट उसके पापा बन सकते हैं। इससे बेटी को बहुत हौंसला मिलता है।
फैसलों में साथ
अगर आपकी बेटी अपनी लाइफ को लेकर कुछ डिसाइड करे तो उसके उस फैंसले में उसका साथ जरुर दें। अगर आपको उसका लिया हुआ फैंंसला गलत लगे तो उसे प्यार से समझाएं। एक उम्र ऐसी होती है जिसमें मां-बाप के लाख समझाने पर भी बच्चे उनकी नहीं सुनते, शायद इस उम्र के दौर से मां-बाप खुद गुजर चुके होते हैं। ऐसे में चाहिए कि आप बेटी के दोस्त बनें। कई बार गुस्सा करने की जरुरत पड़े भी तो करें, आगे चलकर आपके इस गुस्से के पीछे छिपी फिक्र को बच्चे एक दिन जरुर समझ जाते हैं।
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