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प्रेग्नेंट महिला के शव को लादकर 8 KM तक चले परिवार वाले, अस्पताल में मौत के बाद नहीं मिली एंबुलेंस

  • Edited By PRARTHNA SHARMA,
  • Updated: 04 Jun, 2025 12:55 PM
प्रेग्नेंट महिला के शव को लादकर 8 KM तक चले परिवार वाले, अस्पताल में मौत के बाद नहीं मिली एंबुलेंस

नारी डेस्क: ओडिशा के कंधमाल जिले से एक बेहद दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है जिसने हमारे स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है। आज के समय में जहां अस्पतालों में हर सुविधा मिलने का दावा किया जाता है और गांव-शहरों में 24 घंटे एंबुलेंस सेवा की बात कही जाती है, वहीं कंधमाल की यह घटना साबित करती है कि जमीनी हकीकत अभी भी बहुत दूर है।

गर्भवती महिला का शव कंधे पर उठाकर घर ले जाना पड़ा

यह घटना कंधमाल जिले के दारिंगबाड़ी इलाके की है। यहां एक गर्भवती महिला की मौत हो गई। महिला का नाम सुनीमा प्रधान था जो काजुरी पादेरी गांव के सुरेंद्र प्रधान की पत्नी थीं। सुनीमा गर्भवती थीं और तबीयत खराब होने पर उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया था। दुर्भाग्य से अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

मौत के बाद जब परिवार ने शव को घर तक ले जाने के लिए वाहन मांगा तो न तो कोई एंबुलेंस मिली और न ही कोई सरकारी सहायता। मजबूरन, परिवार के लोग और रिश्तेदारों ने मिलकर करीब 8 किलोमीटर तक शव को कंधे पर उठाकर गांव तक पहुंचाया।

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2016 की पुरानी घटना की याद दिलाई

यह घटना 2016 की उस काले दिन की याद दिलाती है, जब कालाहांडी के दाना माझी ने अपनी पत्नी के शव को कंधे पर उठाकर 10 किलोमीटर तक पैदल चलकर घर पहुंचाया था। उस समय भी भारत के स्वास्थ्य सिस्टम पर सवाल उठे थे। लेकिन लगता है कि उस घटना से हमने कुछ नहीं सीखा।

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सरकारी सुविधाओं के दावों पर सवाल

सरकार हर गांव तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने का दावा करती है। गर्भवती महिलाओं के लिए जननी सुरक्षा योजना, मुफ्त एंबुलेंस सेवा जैसी कई योजनाएं लागू हैं। फिर भी ऐसे गंभीर मामलों में सुविधा न मिलने से सवाल उठते हैं कि क्या ये योजनाएं सिर्फ कागजों तक सीमित हैं? कई जगहों से शिकायतें मिलती हैं कि बार-बार कॉल करने के बावजूद एंबुलेंस नहीं भेजी जाती या अस्पताल प्रशासन कोई मदद नहीं करता।

इस घटना से पूरे गांव में गुस्सा और दुख की लहर है। लोग सरकार और प्रशासन से उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। इसके लिए स्वास्थ्य सेवाओं को जमीनी स्तर पर मजबूत करना बेहद जरूरी है।

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