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Sawan 2020: जानिए उज्जैन के राजा महाकाल से जुड़ी कुछ खास बातें

  • Edited By Janvi Bithal,
  • Updated: 03 Jul, 2020 05:18 PM
Sawan 2020: जानिए उज्जैन के राजा महाकाल से जुड़ी कुछ खास बातें

हिंदू धर्म में सावन महीने को बहुत मान्यता दी जाती है। जुलाई में सावन का महीना शुरू होने जा रहा है इस साल कोरोनावायरस के कारण भोले बाबा के भक्त चाहे उनके प्राचीन मंदिरों में न जा सकें लेकिन वो अपने घरों में रह कर इसे पूरे चाव के साथ मनाएंगे। सावन का महीना है और ऐसे में भोले बाबा की बात न हो ऐसा कैसे हो सकता है। तो चलिए आज हम आपको विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर से जुड़ी कुछ विशेष बातों के बारे में बताते हैं। यह मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में स्थित है। ऐसी मान्यता है कि इसके दर्शन से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। तो चलिए आपको इस मंदिर से जुड़ी कुछ खास बाते बताते हैं। 

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ये एकमात्र दक्षिणमुखी शिवलिंग है

अगर तंत्र-मंत्र की विद्मा की मानें तो भगवान शिव के इस मंदिर की बहुत मान्यता है और तो और यह दुनिया का एकमात्र दक्षिणमुखी शिवलिंग है। 

 दर्शन से होता है मोक्ष प्राप्त 

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जिनका नाम ही भोला है वो आखिर कैसे अपने भक्तों की मनोकामना को पूरा न करें। ऐसा माना जाता है कि जो भी इनके दर्शन कर लेता है उसे मोक्ष प्राप्त हो जाता है। 

बाबा महाकाल को दिया जाता है गार्ड ऑफ ऑनर

सोमवार का दिन शिवजी का होता है ये सब जानते हैं लेकिन यहां सावन के महीने की मान्यता अलग है। जी हां यहां हर सावन के सोमवार को एक शाही सवारी निकाली जाती है इतना ही नहीं इस दिन भोले बाबा को इस खास मौके पर गॉड ऑफ ऑनर भी दिया जाता है। 

भस्म के साथ की जाती है आरती

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भगवान शिव का शिगांर बड़े चाव के साथ किया जाता है। रोज सुबह भोले बाबा की भस्म के साथ आरती की जाती है लेकिन बहुत कम लोग ये जानते हैं कि महाकाल का श्रृंगार मुर्दे की ताजी भस्म के साथ किया जाता है लेकिन आजकल इसकी जगह गोबर के कंडे की भस्म का उपयोग किया जाता है। 

नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर की भी है बहुत मान्यता

वहीं आपको ये भी बता दें कि इस मंदिर के ऊपरी तल पर एक और मंदिर बना है। इसका नाम नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर है जो साल में सिर्फ नाग पंचमी के दिन ही खुलता है।

कोई राजा यहां नहीं करता निवास

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पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां कोई राजा भी निवास नहीं करता है क्योंकि उज्जैन के एक ही राजा है और वो हैं महाकाल । 

इस तरह हुए थे प्रकट

अब आपको ये भी बता दें कि यहां महाकाल कैसे प्रकट हुए थे। इससे जुड़ी एक कथा भी है। मान्यताओं के अनुसार दूषण नामक असुर से लोगों की रक्षा के लिए महाकाल यहां प्रकट हुए थे। ]

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खास है भस्म की आरती

वहीं भोले बाबा की भस्म की आरती देखने का पल जिसे भी नसीब हो जाए उसके सारे के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। यहां भोले बाबा को जो भस्म चड़ाया जाता है उसको ग्रहण करने से मनुष्य के सभी कष्ट भी दूर हो जाते हैं। 

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